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क्रूसो के अनुपस्थित-समय का इतिहास।


इधर एक अँगरेज़ की ही दया से हम लोगों के प्राण बचे हैं और वही इन लोगों को यहाँ रख गये हैं। अब इन्हें मार कर हम लोग उनको क्या जवाब देगे? इसलिए इन लोगों काविचार नितान्त दयालुभाव से करना होगा।

बहुत तर्क-वितर्क के बाद यह तय हुआ कि इन लोगों के हथियार ज़ब्त करके इन्हें अपने दल से निकाल देना चाहिए। अब इन्हें बन्दूक़, गोली-बारूद, तलवार या दूसरा कोई हथियार न देना चाहिए। इन लोगों की जहाँ इच्छा हो वहाँ जा कर रहें। हम लोगों में कोई इनसे वार्तालाप न करे। वे लोग अपनी एक निर्दिष्ट सीमा का अतिक्रम करके स्पेनियर्डों की सीमा के भीतर पैर न रक्खें। इस प्रकार परित्यक्त होने पर भी यदि वे किसी का कुछ अपकार या नुकसान करेंगे तो उनको मृत्यु निश्चित है, तब उनकी एक भी उन न सुनी जायगी।

स्पेनियर्डों के मुखिया बड़े ही दयालु थे। उन्होंने कहा, एक बात और सोच लेनी चाहिए। ये लोग हमारे समाज से निकाले जाने पर क्या खायँगे? अनाज उपजाने में भी समय लगेगा। इन लोगों को भूखों मार डालना उचित नहीं। इन लोगों के लिए खाने-पीने को कुछ व्यवस्था कर के तब समाज से अलग कर देना ठीक होगा। इन्हें आठ महीने का खाद्य और बीज के उपयुक्त अनाज, छः बकरियाँ, चार बकरे तथा खेती करने का सामान्य उपकरण देकर बिदा कर दो।" यही हुआ। उन लोगों से इस बात का मुचलका ले लिया गया कि अब वे भविष्य में किसी साधारण से भी साधारण व्यक्ति का कुछ अपकार न करेंगे। इसके बाद सर्दार की प्राज्ञा के अनुसार उन्हें जीवन-यात्रा के लिए वे सब वस्तुएँ दे दी गईं। इन