इस प्रकार भागने का सब सामान ठीक करके हम लोग रवाना हुए । बन्दर के सामने जो किला था, उसके पहरेदार हमारे परिचित थे । इसलिए उन लोगों ने मुझ पर विशेष लक्ष्य न किया । हम लोग बन्दर से डेढ़ दो मील पर जा कर, नाव का पाल गिरा कर, मछली पकड़ने लगे । उस समय हवा मेरी इच्छा के विरुद्ध बह रही थी । उत्तरीय वायु बहने से मैं स्पेन के उपकूल या केडिज उपसागर में जा पहुँचता । किन्तु हवा जैसी चाहे बहे, मैं इस कुत्सित स्थान को त्याग कर ज़रूर जाऊँगा—यह मैंने दृढ़ संकल्प कर लिया था । पीछे जो भाग्य में बदा होगा, होगा । भविष्य की चिन्ता भविष्य में की जायगी, अभी जिस तरह हो यहाँ से रफूचक्कर होना ही ठीक है ।
हम लोग बड़ी देर तक बनसी डाले बैठे रहे, पर एक भी मछली नहीं पकड़ सके; कारण यह कि मछली मेरी बनसी को निगल भी जाती थी तो भी मैं लग्गी को नहीं खींचता था । मैंने मूर से कहा—यहाँ मछली पकड़ने की सुविधा न होगी, ज़रा गहरे पानी में चलो । वह राज़ी होगया । वह नाव के अग्र भाग की ओर था, उसने पाल तान दिया । मेरे हाथ में नाव खेने का लग्गा था । मैं धीरे धीरे नाव को खेकर किनारे से एक डेढ़ मील दूर ले गाया । तब मैंने मछली पकड़ने का बहाना करके नाव को ठहराया और उस बालक के हाथ में लग्गा देकर मैंने नौका के सम्मुख की ओर गया । वहाँ ज़ाकर, मानो मैं कोई चीज़ खोज रहा हूँ इस तरह का भाव दिखा कर, मैं मूर के पीछे गया और एकाएक उसकी कमर पकड़ कर खूब ज़ोर से उसे उठा कर पानी में फेंक दिया । वह समुद्र में गिर कर सूखी लकड़ी की तरह तैरने