आ गये हैं इससे दोनों दलों के भोज का आनन्द नष्ट हो गया है। संभव है, सुबह होने पर फिर दोनों दल परस्पर युद्ध करें। किन्तु अभी तक उन लोगों को मनुष्य की बस्ती का कुछ पता नहीं लगा। फ़्राइडे के पिता की बात खतम होते न होते देखा कि वे असभ्य लोग बिकट चीत्कार कर के युद्ध-ताण्डव में मत्त हो उठे।
उन का युद्ध देखने के लिए सभी व्यग्र हो उठे। फ़्राइडे का पिता सबको समझाने लगा कि "उन लोगों से छिप कर रहने ही में भला है। जाहिर होने में शायद कोई संकट आ पड़े। वे लोग आपस में लड़ झगड़ कर कट मरेंगे। जो बचेंगे वे अपने देश को लौट जायँगे।" पर कौन किसकी सुनता है? विशेष कर अँगरेज़ों को रोक रखना कठिन हुआ। तमाशा देखने की लालसा ने उन लोगों की हित-बुद्धि को मन्द कर डाला। वे लोग छिप कर जंगल के भीतर से युद्ध देखने गये।
सुबह होते होते खूब भयङ्कर युद्ध हुआ। दो घंटे पीछे एक दल युद्ध में हार कर भागने लगा। तब हम लोगों के पक्षवालों को भय होने लगा। भय का कारण यह था कि उन भागने वालों में से यदि कोई मेरे घर के सामने की उपवाटिका में आ छिपेगा तो सहज ही हम लोगों के घर का पता लग जायगा। इसके बाद उसके पीछा करने वालों से भी पता छिपा न रहेगा। इसलिए जितने स्पेनियर्ड थे सभी ने सशस्त्र होकर रहने का विचार किया और यह भी सोचा कि जो इस तरफ़ छिपने आवेंगे उन्हें फ़ौरन मार डालेंगे, जिसमें कोई अपने देश तक ख़बर न पहुँचा सके। परन्तु यह कार्य बन्दूक़ से न किया जाय क्योंकि उसका शब्द और लोग