पृष्ठ:राबिन्सन-क्रूसो.djvu/२७५

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२५२
राबिन्सन क्रूसो।


दे तो दे दे। उन लोगों के साथ पतवार, पाल और कम्पास था। उन्हींके सहारे वे अमेरिका लौट जाने का उपक्रम कर रहे थे। ऐसे समय उन लोगों ने विधाता की आश्वासवाणी की तरह एक बार तोप का शब्द सुन पाया और क्रमशः चार बार और भी सुना। वे लोग अमेरिका लौटने की चेष्टा ही करते थे पर लौटने की आशा न थी। मेघ, पानी, हवा और जाड़े की अधिकता से व्यथित हो कर वे लोग रास्ते ही में मर जाते। इसके अतिरिक्त नाव डूबने की आशङ्का भी पग पग पर थी। इस विषम भय में उन लोगों ने उद्धार का आश्वासन पा कर फिर छाती को दृढ़ किया। वे लोग पाल गिरा कर, पतवार खींचना बन्द कर के, प्रभातकाल की प्रतीक्षा करने लगे। कुछ देर बाद वे हम लोगों के जहाज की रोशनी देख कर और तोप की आवाज सुन कर हम लोगों के जहाज की ओर आने के लिए फिर नाव खेने लगे। प्रतिकूल वायु में उन लोगों को नव अधिक दूर आगे न आ सकी, किन्तु भोर होने पर जब उन्होंने देखा कि हम लोग उनको आते देख रहे हैं तब उनकी जान में जान आई।

उन लोगों ने रक्षा पाकर जो अनेक भावों से भरी विविध चेष्टाओं से अपना आवेग प्रकट किया था उसे बताने में मैं असमर्थ हूँ। शोक या भय की प्रात्यन्तिक दशा शायद वर्णन करके कुछ समझा भी सकता हूँ, उस विपदावस्था का चित्र खींच सकता हूँ; बारम्बार लम्बी साँस लेना, आँसू बहाना, विलाप करना, हाथ-पैरों को पटकना यही मोटी मोटी दुःख-भय की परिभाषा है; किन्तु अत्यन्त हर्ष की परिभाषायें अनेक प्रकार की होती हैं, उसके वास्तविक स्वरूप का वर्णन सहज में नहीं हो सकता। वे लोग अपना