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दूसरी बार की विदेश-यात्रा।


घोर अन्धकार में छिपे हैं। हम लोग कुछ निश्चय न कर सके कि वे अभी किस अवस्था में हैं। उन लोगों को सूचना देने के लिए मैंने अपने जहाज़ के चारों ओर रोशनी कर दी और गोलन्दाज़ से सारी रात तोप की आवाज़ करने को कह दिया।

हम लोगों ने जाग कर रात बिताई। सबेरे आठ बजे हम लोगों ने दूरबीन लगा कर देखा कि दो छप्परदार नावे आरोहियों से भरी हुई घिरनी की तरह बीच समुद्र में नाच रही हैं। हवा हमीं लोगों की ओर से हो कर बहती थी। वे प्रतिकूल वायु में पड़ कर प्राणपण से नाव खे कर हम लोगों की ओर आ रहे थे और हम लोगों की दृष्टि को अपनी ओर आकृष्ट करने के लिए भाँति भाँति की चेष्टायें कर रहे थे। हम लोगों ने झंडी उड़ा कर उन लोगों को संकेत द्वारा जता दिया कि हम लोगों ने तुमको देख लिया। अब हम लोग पाल तान कर बड़ी तेज़ी से उन लोगों की ओर अग्रसर होने लगे। आध घंटे में हम लोग उनके पास पहुँच गये और चौसठ पुरुष, स्त्री और बालकों को अपने जहाज़ पर चढ़ा लिया।

दरियाफ़्त करने से मालूम हुआ कि वह एक फ़्रांसवासी सौदागर का जहाज़ है, कनाडा देश के क्यूबिक शहर से देश को जा रहा था। माँझियों की असावधानी से जहाज़ में भाग लग गई और बहुत उपाय करने पर भी बुझ न सकी। तब जहाज़ के सभी यात्री निरुपाय हो कर नाव पर सवार हुए। उन लोगों के भाग्य से खुब बड़ी बड़ी दो नावें साथ में थीं, इससे वे लोग झटपट कुछ खाने-पीने की चीज़ें ले कर उन पर उतर आये। किन्तु नाव पर सवार हो जाने पर भी अपार समुद्र में उन लोगों के प्राण बचने की आशा न थी। केवल दुराशा मात्र थी कि कोई जहाज़ उन लोगों को आश्रय दे