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क्रूसो का दासत्व ।


पोर्चुगीज़ों के सरकारी लड़ाकू जहाज़ से आक्रान्त होकर बन्दी होंगे तब मुझे फिर स्वाधीनता मिलेगी ।

किन्तु मेरी यह आशा शीघ्र ही जाती रही । जब वह जहाज़ पर जाता था तब मुझे अपने गृहसम्बन्धी काम सँभालने के लिए घर ही पर छोड़ जाता था और जब घर लौट आता था तब मुझको जहाज़ की निगरानी के लिए जहाज़ पर सोने की आज्ञा देता था ।

यहाँ रह कर भागने की चिन्ता के सिवा मेरे मन में और कोई चिन्ता न थी । चिन्ता करके भी मैं भागने का कोई उपाय स्थिर न कर सकता था । कितने ही उपाय सोचता था, किन्तु किसी में जी न भरता था, एक भी उपाय युक्तियुक्त न जान पड़ता था । वहाँ मेरे मेल का कोई ऐसा आदमी भी न था जिसके साथ कुछ सलाह करता । दो वर्ष प्रायः योंही बीत गये । भागने की आशा भी क्रमशः क्षीण होने लगी । किन्तु दो साल के बाद एक अनुकूल घटना के सुयेाग से भागने की पुरानी चिन्ता फिर मेरे मन में उत्पन्न हुई । मेरे मालिक द्रव्य के अभाव से उस बार अधिक समय तक घर पर रह गये । उन दिन, आकाश साफ रहने पर, प्रति सताह में दो तीन दिन जहाज़ की उपसहायक छोटी डोंगियों पर चढ़कर वे मछली पकड़ने जाते थे । वे मुझको और मारइस्को नामक एक नवयुवक को पतवार चलाने के लिए साथ ले जाते थे । मैं नाव खेकर उन्हें खूब प्रसन्न कर देता था । दूसरे, मैं मछली पकड़ने में भी पूरा उस्ताद था । इसलिए वे कभी कभी अपने आदमी मुर और मारइस्को को मेरे साथ देकर मुझी को मछली पकड़ने के लिए भेज देते थे ।