अब दिन नाममात्र को भी न रहा। सूर्यास्त होने पर अन्धकार का साम्राज्य क्रमशः बढ़ चला। यह हम लोगों के पक्ष में कुछ भी सुखकर न था। जितना ही अन्धकार बढ़ने लगा उतना ही अधिक भेड़ियों का कोलाहल होने लगा। इतने में क्या देखता हूँ कि भेड़ियों का एक झुण्ड हम लोगों की बाँई ओर, एक झुण्ड सामने और एक झुण्ड पीछे आकर हम लोगों को घेर कर खड़ा हुआ। किन्तु उन सब को आक्रमण की चेष्टा करते न देख, हम लोगों से जहाँ तक हो सका, हम जल्दी जल्दी आगे बढ़ चले। किन्तु रास्ता नीचा ऊँचा होने के कारण शीघ्रता करने पर भी रास्ता बहुत कम कटता था। इस प्रकार क्रमशः आगे बढ़ते बढ़ते हम लोग एक जंगल के प्रवेश-पथ में पहुँचे। इस वन से पार होने पर हम लोगों का आज का सफ़र पूरा होगा और हम लोग एक निर्दिष्ट स्थान में पहुँच जायँगे। यह देख कर हम लोगों को बड़ा ही आश्चर्य हुआ कि वन के भीतर प्रवेश करने के पथ में कितने ही भेड़िये पहले ही से खड़े हो आगन्तुकों की राह देख रहे हैं। वन के अन्य भाग में अकस्मात् बन्दूक की आवाज़ हुई। आवाज़ होने के कुछ ही देर पीछे हम लोग देखते हैं कि एक ज़ीन-कसा घोड़ा वायु-वेग से दौड़ा चला आ रहा है और जंगल से बाहर निकल गया। पन्द्रह-सोलह भेड़िये उसका पीछा किये चले आरहे हैं। घोड़ा यद्यपि भेड़ियों से बहुत आगे था तथापि उन के पंजे से निकल भागना उसके लिए असंभव था। भेड़िये के साथ घोड़ा कब तक दौड़ सकता है। बात की बात में भेड़ियों के झुण्ड ने घोड़े को धर दबाया और उसे मार खाया। हम लोगों ने जंगल के भीतर प्रवेश करके और भी भयङ्कर दृश्य देखा। रास्ते में एक घोड़ा और दो मनुष्य मरे पड़े हैं और
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राबिन्सन क्रूसो।