फिरा कर ऐसे मार्ग से ले चला कि पहाड़ को चोटी पर चढ़ने से भी अधिक बर्फ़ न मिली। हम लोग जब पहाड़ की चोटी पर चढ़े तब एक दिन और एक रात बराबर पाला गिरता ही रहा। इससे हम लोग डर गये; किन्तु पथ-प्रदर्शक ने कहा, "डरने की कोई बात नहीं है।" यह सुन कर हम लोगों को कुछ साहस हुआ और तब से बराबर हम लोग पहाड़ के नीचे उतरने लगे। हम लोग उस व्यक्ति के पीछे पीछे उसीके ऊपर भरोसा करके जाने लगे।
एक दिन साँझ होने के कुछ पहले एकाएक तीन बड़े बड़े भेड़िये और उनके पीछे पीछे एक भालू जङ्गल से निकल कर हम लोगों के पीछे पड़ गये। ज़रा सी कसर रह गई थी, नहीं तो वह हिंस्र जन्तु पथ-प्रदर्शक को वहीं खतम कर देता। वह घबरा कर हम लोगों को पुकारने लगा। पिस्तौल निकाल कर उन पर गोली चलाने की भी सुध उसको न रही। पथ प्रदर्शक के पास ही फ़्राइडे था। उसने खूब साहस कर घोड़ा दौड़ा कर भेड़िये को गोली से मार गिराया। भाग्य से ही उस व्यक्ति के समीप फ़्राइडे था इसीसे वह बच गया; दूसरा कोई रहता तो इस तरह साहस कर के भेड़िये का मुकाबला नहीं कर सकता। दूर से गोली मारने में यह भय था कि क्या जाने भेड़िये को लगे या न लगे। जो पथ-प्रदर्शक को ही गोली लग जाती तो मामला चौपट था।
जो हो, हम लोग भेड़िये को देख कर बहुत ही डरे। फ़्राइडे के तमंचे की आवाज़ होते ही जङ्गल के दोनों ओर भेड़ियों का घोर गर्जन और हुंकार होने लगा। वह कठोर शब्द पर्वत की कन्दरा में प्रतिध्वनित हो कर दूना भयङ्कर हो उठा। फ़्राइडे की गोली की चोट खा कर एक भेड़िया वहीं ठंडा हो