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क्रूसो का दासत्व ।

इस बार मैं अत्यन्त अशुभ मुहूर्त में रवाना हुआ था । लगातार आपदाएँ मेरा पीछा करने लगीं ।

हमारा जहाज़ जब अफ्रीका के उपसमीप कनारी द्वीप के मध्य से जा रहा था तब एक दिन प्रातःकाल के ईषत् प्रकाश में देखा कि मरक्को देश के शैली बन्दर का एक तुर्की लुटेरा जहाज़ पाल ताने बड़े वेग से हम लोगों को पकड़ने के लिए दौड़ा चला आ रहा है । यह देख कर हम लोग भी यथासम्भव पाल तान कर भाग चले । किन्तु वह जहाज़ हम लोगों के जहाज़ की अपेक्षा फुर्ती से चलकर क्रमशः हम लोगों के निकट आने लगा । तब हम लोग समझ गये कि कुछ घंटों में उस जहाज़वाले हम लोगों को पकड़ लेंगे । अगत्या हम लोग उनके साथ युद्ध करने की तैयारी करने लगे । हम लोगों के जहाज़ पर बारह और उन लुटेरों के पास अठारह तोपें थीं कोई तीन बजे दिन के वह लुटेरा जहाज़ एकदम हम लोगों के समीप आ पहुंचा । किन्तु भूल से उन लोगों ने हम लोगों के पीछे की ओर से आक्रमण न करके पार्श्वभाग से आक्रमण किया । हम लोगों ने उस तरफ़ आठ तोपें लगा कर उस जहाज़ पर लगातार गोला बरसाना शुरू किया । गोलों की मार खाकर वह जलदस्यु जहाज़ दूर हट गया, किन्तु हटते हटते भी वह एक साथ दो सौ बन्दूकें दाग करके हमारी तोपों का जबाब देता गया । ईश्वर की कृपा से बन्दूकों की गोलियाँ हमारे दल में किसी को भी नहीं लगी । वह हत्यारा जहाज़ सँभल कर फिर हम लोगों के ऊपर आक्रमण करने आया । हम लौग भी आत्मरक्षा के लिए प्रस्तुत हुए ।