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क्रूसो के उद्धार की पूर्व सूचना

दोपहर के समय सभी धूप से घबरा कर वृक्ष की छाया में लेट कर ऊँघने लगे। केवल वे तीनों बन्दी पेड़ की छाँह में जागते हुए बैठे थे। मैं उनके साथ भेट करने का निश्चय कर के हरवे-हथियारों से लैस हो और फ़्राइडे के साथ ले किले से निकला। विचित्र पोशाक के कारण हम लोगों का चेहरा देखने में बिलकुल भूत का सा था। हम लोगों ने पैरों की आहट बचा कर धीरे धीरे, छिपे तौर से, उनके पास जा कर स्पेनिश भाषा में पूछा-"महाशय, आप लोग कौन हैं?" यह सुन कर वे लेाग चकित हुए और चुपचाप हमारे मुँह की ओर देखने लगे। मैंने देखा कि वे भागने का उपक्रम कर रहे हैं, तब मैंने अँगरेज़ी में कहा-"महाशय, मुझको देख कर आप लोग डरे नहीं, बल्कि आप लोग यह समझे कि एक अप्रार्थित मित्र आप के निकट आया है। उनमें से एक व्यक्ति सम्मान दिखाने के लिए टोपी उतार कर बोला-ज़रूर ही आप ईश्वर-प्रेरित हैं, क्योंकि हम लोगों का साहाय्य करना मनुष्य के सामर्थ्य से बाहर की बात है। मैंने कहा-"आपका कहना ठीक है, सभी मङ्गल कार्य ईश्वर की प्रेरणा से होते हैं। अभी आप यह तो बतावें कि मामला क्या है। यह सुन कर उसकी आँखों से झरझर आँसू गिरने लगे। वह भय से काँपता हुआ बोला—मैं नहीं जानता कि मैं देवता, गन्धर्व या मनुष्य किसके साथ बातें कर रहा हूँ।

मैं-आप भय न करें। भगवान् देवता या गन्धर्व किसी को भेजते ते उनका लिवास और रूप-रङ्ग हम से कहीं अच्छा दिखाई देता। मैं आदमी हूँ, अँगरेज़ हूँ और आप लोगों की सहायता करने की इच्छा से आया हूँ। कहिए, क्या समाचार है?