क्रूसो के उद्धार की पूर्व सूचना
स्पेनियर्ड और फ़्राइडे के पिता को रवाना करके हम नित्य ही उनके आने की प्रतीक्षा करने लगे। देखते देखते आठ रोज़ बीत गये तो भी उनके दर्शन न हुए। एक दिन सबेरा हो जाने पर भी मैं बिछौने पर पड़ा रहा। फ़्राइडे दौड़ कर आया और बोला-"वे आ रहे हैं। मैं बिछौने से उछल कर उठ खड़ा हुआ और झट कपड़े पहन कर दौड़ता हुआ बाहर आया। हड़बड़ी में बन्दूक़ लेना भूल गया। बाहर आकर देखा कि एक नाव द्वीप के दक्षिण ओर समुद्र के किनारे लगने का उपक्रम कर रही है। उस तरफ से स्पेनियर्ड के आने की संभावना न थी। मैंने फ़्राइडे के पुकार कर कहा-"अभी सावधानी से छिपे रहा। ये लोग वे नहीं हैं। ये शत्रु हैं या मित्र, यह पहले जान लेना चाहिए। मैंने दूरबीन लेकर सीढ़ी के सहारे पहाड़ की चोटी पर चढ़ कर देखा। यहाँ से करीब ढाई मील पर दक्खिन-पूरब के कोने में एक जहाज़ है जो किनारे से डेढ़ मील के भीतर ही होगा। दूरबीन से साफ़ दिखाई दिया। वह अँगरेज़ी जहाज़ था। उसके साथ जो नाव थी वह अँगरेज़ी ढंग की थी।
जहाज़ तो मेरे देश का मालूम होता है। संभव है उस पर देशवासी हों, और वह बन्धु के द्वारा परिचालित हो। यह सच कर मेरा मन आनन्द और आश्चर्य से डावाँडोल होने लगा। तो भी पूरा विश्वास न होता था। मैंने फिर सोचा, अँगरेजी जहाज़ का मार्ग छोड़ कर इधर आने की क्या जरूरत थी? इसलिए चोर-डकैतों के हाथ में पड़ने की अपेक्षा छिप रहना अच्छा है। हम लोगों के अन्तःकरण से