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फ़्राइडे की शिक्षा।


कोई खोज ख़बर न लेकर उधर के उधर ही चले गये। तब मैंने वहाँ जा कर देखना चाहा कि वे लोग वहाँ क्या कर रहे थे। मैंने दो बन्दूक़े आप ली और फ्राइडे तीर-कमान को कन्धे पर लटका कर एक हाथ में मेरी तलवार और दूसरे हाथ में मेरी बन्दूक़ ले कर मेरे साथ साथ चला। फ़्राइडे तीर चलाने में बड़ा ही दक्ष था। वहाँ पहुँच कर मैं हक्काबका सा हो रहा। मेरा जी भिन्ना उठा, किन्तु फ़्राइडे के मन में ज़रा भी घृणा उत्पन्न न हुई, वह निर्विकार था। वहाँ के भीषणदृश्य का वर्णन करते मेरा हृदय काँपता है। मैंने देखा कि चारों ओर मुर्दे की ठठरी पड़ी है, इधर उधर अधजला, आधा खाया हुआ नर-मांस बिखरा पड़ा है; कहीं हड्डियाँ लहू मास से भरी पड़ी हैं, कहीं सूखी हड्डियों का ढेर लगा है। मनुष्य के रक्त से भूमि लाल हो गई है। तीन मुण्ड और पाँच हाथ कटे पड़े हैं। फ़्राइडे ने संकेत द्वारा मुझ से कहा-वे लोग चार कैदियों को लाये थे। जिनमें तीन आदमियों को मार कर खा गये, चौथा मैं ही था। दोनों दलों में खूब युद्ध हुआ था। युद्ध में जो बन्दी होते हैं उनकी प्रायः यही दशा होती है।

मैंने फ़्राइडे से कहा कि उन ठठरियों और अधजले मांस-हड्डियों को एकत्र कर के उनमें आग लगा दे। वह नरमांस खाने के लिए फ्राइडे की लार टपक रही थी। उसकी राक्षसी-प्रकृति जाग उठी थी। उसको खाने के लिए उद्यत देख कर मैं उस पर बहुत बिगड़ा। मेरी अत्यन्त घृणा और चिढ़ने का भाव देख कर वह रुक गया। मैंने उसे अच्छी तरह समझा दिया कि अब यदि तू कभी नरमांस खायगा तो मैं तुझे भी मार डालूँगा।