हानिकारक होती, और वह आता तो मेरे हाथ से ज़रूर मारा जाता, सो यह उसके लिए भी कभी अच्छा न होता। मैंने देखा कि भागने वाले की अपेक्षा पीछा करने वालों को उस खाड़ी के पार करने में दुगुना समय लगा।
मैं झठपट पहाड़ से उतर पड़ा और दो बन्दूकें लेकर फिर पहाड़ पर चढ़ गया। पहाड़ पर से धीरे धीरे समुद्र की ओर उतर कर शीघ्र ही उन दोनों भागने और पीछा करने वालों के बीच जा पहुँचा। तब मैंने भागने वाले को पुकारा। वह पीछे मुड़ कर और मुझे देख कर और भी भयभीत हुआ। मैं उसको हाथ का इशारा देकर और अपनी ओर आने का संकेत कर के धीरे धीरे पीछा करने वालों की ओर अग्रसर होने लगा। उन दोनों में जो आगे था उस पर एकाएक आक्रमण करके मैंने बन्दुक के कुन्दे के धक्के से उसे धरती पर गिरा दिया। मैं बन्दूक की आवाज़ न करना चाहता था, क्योंकि आवाज़ होने से उसके और साथी सुन लेते। उसको गिरते देख उसका साथी ठिठक कर खड़ा हो रहा। मैं उसकी ओर झपटा। देखा तो उसके पास धनुष बाण है और वह धनुष पर तीर चढ़ा रहा है। तब मैं उसे गोली मारने को बाध्य हुआ। मैंने एक ही गोली में उसका काम तमाम कर दिया।
दोनों दुश्मनों को गिरते देख भागने वाला साहस पाकर ठहर गया। किन्तु मेरी बन्दूक की आवाज़ से वह एक दम स्तम्भित और चकित हो गया। उससे न अब भागते ही बनता था और न मेरी ओर आते ही। वह कुछ देर जड़वत् खड़ा रह कर फिर भागने का मौका देखने लगा। मैंने फिर उसे पुकारा। वह कुछ आगे की ओर बढ़ा। इसके बाद