मैंने दूरबीन लगा कर देखा कि उन लोगों ने अग्निकुण्ड प्रज्ज्वलित किया और उसके चारों ओर घूम घूम कर वे विचित्र अङ्ग-भङ्गी के साथ नाच रहे हैं।-पृ॰ १६४