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द्वीप में असभ्य।


की असुविधा थी; किन्तु इस संकीर्ण पथ से सुरङ्ग और भी सुरक्षित है, यह जान कर मैंने इसे सुभीता ही समझा।

इस गुफा के आविष्कार से मेरे हर्ष की सीमा न रही। जिन वस्तुओं की मुझे विशेष चिन्ता थी, उन्हें अब शीघ्र ही लाकर यहाँ रख देना चाहा। गोली, बारूद और फालतू तीन बन्दूक़ों को पहले यहाँ लाकर रक्खा। जिस बारूद के पीपे में पानी घुस गया था उसे तोड़ कर देखा, तीन चार इञ्च बारूद चारों ओर पानी पड़ने से जम कर बैठ गई थी, उसके भीतर पानी न पहुँचा था। इसलिए पीपे के बीच की बारूद बहुत अच्छी थी। यह विस्मय मेरे लिए विशेष आनन्दवर्द्धक हुआ। इस पीपे से मैंने तोस सेर बढ़िया बारूद निकाली।

वह बूढ़ा बकरा दूसरे दिन मर गया। उसको खींच कर बाहर फेकने की अपेक्षा मैने उसे वहीं गाड़ देना अच्छा समझा।मैंने गढ़ा खोद कर उसे वहीं गाड़ दिया।

मैं अब बिलकुल निर्भय होगया। पाँच सौ असभ्य आवेगे तब भी मेरा पता न पावेंगे।



द्वीप में असभ्य

देखते ही देखते इस द्वीप में मेरे तेईस वर्ष कट गये। मैं इस निर्जन प्रवास-वास में ऐसा असभ्य होगया था कि असभ्यों का भय न रहता तो मैं बूढ़े बकरे की भाँति शान्तिपूर्वक यहीं वृद्ध होकर अपना जीवन बिता देता। मैंने यहाँ अपना जी बहलाने का भी प्रबन्ध कर लिया था।