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नया आविष्कार।


श्रम से यह सब काम सम्पन्न हुआ। इसके बाद घेरे के बाहर बहुत दूर तक पेड़ की डाले काट कर गाड़ दी। दो वर्ष में मेरे घेरे के सामने एक उपवन सा बन गया। पाँच छः वर्ष में वह उपवन बृहत् दुर्भद्य वन के रूप में परिणत हुश्रा। अब उस घन जङ्गल को देख कर कोई यह न समझेगा कि इसके भीतर कोई रहता है। मैं इस समय दो सीढ़ियों के ऊपर से हो कर किले के भीतर जाता-पाता था। एक सीढ़ी बाहर जाने की और एक भीतर आने की थी। दोनों सीढ़ियों को भीतर रख लेने से सहसा कोई मेरे घर में प्रवेश करेगा, इसकी सम्भावना न थी। इस प्रकार अपनी प्राणरक्षा का, जहाँ तक मेरी बुद्धि की दौड़ थी वहाँ तक, मैंने प्रयत्न किया।

मैं केवल अपने घर को ही सुरक्षित करके निश्चिन्त न हुआ। अब मुझे अपने पालतू बकरो की चिन्ता हुई। अब मुझे शिकार का क्लेश उठाना नहीं पड़ता और न गोली-बारूद खर्च करनी पड़ती है। उन बकरियों से सहज ही में मेरे खाद्य की सामग्री मिल जाती है। अतएव किसी तरह इन उपयोगी जन्तुओं की रक्षा करनी चाहिए।

इसके लिए मैंने दो उपाय सोच निकाले। एक तो यह कि कहीं गुफा बना कर उसके भीतर बकरों को बन्द करके, अथवा छोटे छोटे घेरे बना करके उनमें थोड़े थोड़े बकरों को कुछ दूर दूर के फासले पर रक्खा जाय। दूसरा उपाय कुछ अच्छा जान पड़ा । यदि एक घेरे के बकरे किसी तरह खो भी जायँगे तो दूसरे घेरे के बकरे-बकरियों से उनके वंश की वृद्धि होती रहेगी।

इसके लिए मैं कई दिनों तक द्वीप के गुप्त स्थानों की खोज में घूमता रहा। एक बार पहले जिस स्थल-मार्ग से