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राबिन्सन क्रूसो।


मनुष्य के पैर का चिह्न था। पैर की उँगलियाँ तलुवा और एँड़ी आदि प्रत्येक अंश का स्पष्ट चिह्न विद्यमान है। मैं किसी भी तरह निर्णय न कर सका कि यह पद-चिह्न यहाँ कैसे पड़ा। मैं हतबुद्धि हो चिन्ताकुल चित्त से अपने किले में भाग आया। मैं उतनी दूर कैसे आया, चल कर या उड़कर? उस समय इसका मुझे कुछ शान न था। दो तीन डग आगे चलता था, फिर पीछे की ओर घूम कर देखता था, कि कोई आ तो नहीं रहा है। प्रत्येक पेड़ पौधे के पास जाते ही मेरा कलेजा काँप उठता था। दूर से पेड़ के तने को देख कर मुझे मनुष्य का भ्रम होता था।

जब मैं अपने किले के भीतर पहुँचा तब मेरी बुद्धि ठिकाने आई। मैं किस रास्ते से गया था और किस रास्ते लौटकर किले के भीतर पहुँचा-यह कुछ मुझे याद न था। मैं भय से ऐसा घबरा गया था कि मुझे तन मन की भी कुछ सुध न रही।

उस रात को मुझे नींद नहीं आई। मैं रात भर भय का काल्पनिक चित्र देखता रहा। अद्भुत हास्यजनक चिन्ता तरह तरह से चित्त को मथित करने लगी। आखिर मैं यह सोच कर निश्चिन्त हुश्रा कि किसी असभ्य जाति की डोंगी शायद तीक्ष्ण धार में पड़कर या हवा की झोक से किनारे पर श्रा लगी होगी; उसके बाद वे लोग इस निर्जन द्वीप के स्थलमार्ग से चले गये होंगे।

इस भावना का मन में उदय होते ही मैंने भगवान् को धन्यवाद दिया कि कुशल हुआ, मैं उस समय वहाँ उपस्थित न था; और यह भी अच्छा ही हुआ कि उन