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राबिन्सन क्रूसो।


समय निश्चिन्त मन से अपनी अवस्था का सुविचार कर प्रसन्न था।



वस्त्रों की चिन्ता

मेरी स्याही क्रमशः घटने लगी और मैं थोड़ा थोड़ा पानी मिला कर उसे बढ़ाने लगा। आख़िर वह ऐसी फीकी हो गई कि कागज़ के ऊपर उसका कोई चिन्ह ही न देख पड़ता था। जब तक काम चलाने योग्य कुछ स्याही थी तब तक मैं अपने जीवन की विशेष विशेष घटनाएँ लिख लिया करता था।

एक दिन मैं अपनी डायरी की आलोचना करते करते घटनाओँ की एकता देखकर अत्यन्त विस्मित हुना। ३० वीं सितम्बर को मेरा जन्म हुआ था और इसी तारीख़ को मेरा यहाँ का एकान्तवास भी आरम्भ हुआ। जन्म और विजन वास का प्रारम्भ एक ही दिन! जिस तारीख को मैं अपना देश का घर छोड़ करके भागा, उसी तारीख को मैं दास रूप में बन्दी होकर शैली टापू में गया था। जिस तारीख को मैं यारमाउथ मुहाने में जहाज़ डूबने से बाल बाल बचा, उसी तारीख को मैं शैली से भागा था।

स्याही के साथ रोटी का भी अभाव हो गया। यद्यपि मैंने बहुत अन्दाज़ से ख़र्च किया तो भी जहाज़ पर से लाई हुई सब रोटियाँ ख़तम हो गई। स्वयं अपने हाथ से रोटी बनाने के पहले प्रायः एक वर्ष तक मैंने रोटी नहीं खाई। किन्तु भगवान् की दया से वह कमी भी बड़े विचित्र ढंग से दूर होगई।