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राबिन्सन क्रूसो।

इस समय उस एकजूरी लड़के की और आफ़्रीका के उपकूल में जिसने बचायाराथा उस लम्बे जहाज़ की बात याद आने लगी। किन्तु वह तो अब मिलने का नहीं। मैं उस डोंगी की खोज में गया जो हम लोगों के जहाज़ के साथ आई थी; जिस पर सवार हो कर हम लोग डूबे थे और जो समुद्र की लहर से ऊपर आकर सूखे में उलट पड़ी थी। वह जहाँ की तहाँ पड़ी थी किन्तु समुद्र की तरङ्ग और वायु के धके खाकर वह उलट गई थी। उसके आस पास चारों ओर बालू जम गई थी और पानी वहाँ से बहुत दूर हट गया था। नाव ज्यों की त्यों थी, कहीं टूटी फूटी न थी। यदि कोई सहायता करने वाला होता तो मैं ठेल पेल कर किसी तरह नाव को पानी में ले जाता। इससे मेरा बहुत काम चलता। मैं सहज ही ब्रेजिल को जा सकता।

यद्यपि मैं जानता था कि नाव को सीधा करना मेरे सामर्थ्य से बाहर की बात है तथापि असाध्य साधन होता है या नहीं-यह देखने के लिए मैं जंगल से लकड़ी काट कर ले आया और उसको ठेक लगा कर नाव को उलटाने की चेष्टा करने लगा। मेरे शरीर में जितना बल था उसे लगा करके मैं थक गया, पर नाव को हिला तक न सका। इसके बाद नाव के नीचे की बालू खोद कर उसे उलटाने की चेष्टा करने लगा। तीन चार सप्ताह तक मैंने जान लड़ा कर परिश्रम किया, बड़ी बड़ी चेष्टाय की, पर सभी व्यर्थ हुई। जब किसी तरह उसे उलटा न सका तब उस नाव की प्राशा छोड़ दी। किन्तु इससे कोई यह न समझे कि मैंने इसके साथ ही समुद्र पार होने की आशा भी छोड़ दी। नहीं, उपाय जितना ही