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मिट्टी के बर्तन बनाना और रोटी पकाना।


कर रोटी बनाने और सेंकने का नम्बर था। ये सब काम किसी तरह मुझको करने ही पड़ते थे।

इस दफ़े बीज बोने के लिए बहुत लम्बा चौड़ा खेत चाहिए। इसलिए कुछ ज़्यादा खेत ठीक करना होगा। यह सोच कर मैंने सात आठ दिन में एक और काठ का कुदाल बना लिया। पर यह भारी और कुछ भद्दा बना। इसके चलाने में मुझे बड़ी मेहनत पड़ती थी। मैंने अपने घर के बहुत ही नज़दीक दो क्यारी खेत-जोत गोड़ कर ठीक किया। इसके बाद उन पेड़ों की डाल से खेत को चारों ओर से अच्छी तरह घेर दिया जिनकी डाल रोपने से लग जाती है। इस समय बरसात शुरू हो गई थी, इसलिए जभी कुछ फुरसत मिल जाती थी तभी बाड़ी लगा देता था। इसमें मुझे तीन महीने लगे। वृष्टि बन्द होने पर मैं घेरा बनाता था और वृष्टि होने के समय घर में बैठ कर तोते को पढ़ाता था। मैंने तोते का नाम रक्खा था "आत्माराम'। वह बड़े स्पष्ट स्वर में अपना नाम लेकर पुकारता था-"आत्माराम"। इस द्वीप में आकर मैंने अपनी बोली के सिवा यही पहले पहल दूसरे का कण्ठस्वर सुना। अहा! सुनने में क्या ही मधुर लगता था!


मिट्टी के बर्तन बनाना और रोटी पकाना

मैं इस समय केवल तोते के पढ़ाने ही में भूला न था; किन्तु यह भी सोच रहा था कि मिट्टी के बर्तन किस तरह बनाये जा सकेंगे। पहले मैंने सोचा कि बर्तन बनाने के लिए पहले चाक बहुत ज़रूरी है। यदि बर्तन बनाने के लायक