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राबिन्सन क्रूसो।


अंडे खाता था। मेरे पास ऐसा कोई बर्तन न था जिसमें मांस को पका कर शोरवा बनाता।

वर्षा बन्द होने पर मैं गुफा को खोद कर पार्श्व की ओर बढ़ाने लगा। उससे मेरे घर के बगल में जाने-आने का एक दर्वाज़ा सा बन गया। किन्तु यह द्वार ठीक नहीं जान पड़ा। मैं पहले घेरे के भीतर जैसा निश्चिन्त होकर रहता था वैसा अब न रह सकता था। यद्यपि इस द्वीप में सब से बड़ा जानवर जो देखने में आया वह बकरा ही था तो भी किसी के अतर्कित आक्रमण की आशङ्का बनी रहती थी।


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कृषि-कर्म्म

आज ३० वीं सितम्बर है। आज इस द्वीप में आने का मेरा वार्षिक दिन है। लकड़ी के तख़्ते पर तारीख़ के चिह्नों को गिन कर देखा, यहाँ आये ३६५ दिन हो गये। आज के दिन मैंने उपवास किया। दिन भर भूखा रह कर मैंने बड़े विनीत भाव से केवल परमेश्वर का भजन किया। सूर्यास्त होने पर एक बिस्कुट और थोड़े से सूखे अंगूर खाकर पारण किया। इसके पहले, धर्म क्या चीज़ है इसे कुछ न समझ कर, मैं पर्व के दिन भी परमेश्वर का नाम न लेता था। इस समय मैंने अपनी काष्ठ-पञ्ची (पत्रा) की दिन-संख्या के चिह्न के सात सात विभाग करके रविवार का निर्णय करलिया। पीछे से मुझे मालूम हुआ कि गिनती में एक दिन किसी तरह कम हो गया है। मेरे पास स्याही बहुत कम रह गई थी, इसलिए जीवन की विशेष घटना को छोड़ और दैनिक समाचार नहीं लिख सकता था।