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राबिन्सन क्रूसो।


यह समझ कर मैंने अंगूर की डाल को झुका देना ही अच्छा समझा। इससे अंगूरों के दब जाने का भय न था और दूसरा फ़ायदा यह कि वे धूप में सूख भी जायँगे।

घर लौट कर मैं उस रमणीय स्थान के विविध फलों की बात सोचने लगा। मैं ही यहाँ का निष्कणटक एकाधिप हूँ, इस सम्पूर्ण द्वीप पर मेरा ही एकाधिपत्य है। अब मेरे मन में यह ख़याल पैदा हुआ कि मैंने जहाँ घर बनाया है वह जगह इस द्वीप में सब स्थानों की अपेक्षा निरानन्दकर है। उस प्राकृतिक उद्यान में यदि कहीं एक निरापद स्थान मिल जाय तो वहीं रहने लगूँगा। यह मैंने अपने मन में स्थिर किया।

उस प्राकृतिक उपवन में घर बनाने की लालसा बहुत दिनों तक मेरे मन में रही। किन्तु आगे-पीछे की बातें सोच कर उस लालसा को मन से हटा दिया। मैंने फिर यह बात सोची कि समुद्र के तट में हूँ। कदाचित् कोई सुयोग यहाँ से जाने का मिल भी सकता है। जो अभाग्य मुझ अकेले को खींच कर यहाँ ले आया वह किसी दिन मेरे सदृश किसी दूसरे हतभाग्य को भी ला कर मेरे पास पहुँचा सकता है। यहाँ रहने से यह घटना कदाचित् हो भी सकती है, किन्तु समुद्रतट से दूर पहाड़ में या जङ्गल में आश्रय लेने से उद्धार की आशा एकदम छोड़ ही देनी होगी। जिस किसी अभिप्राय से क्यों न हो, वह स्थान मुझे इतना पसन्द था कि जुलाई तक का मेरा समय वहीं कट गया। मैंने वहाँ एक कुञ्जभवन बना कर चारों ओर से उसे अच्छी तरह घेर दिया। ऊँचे ऊँचे खम्भों से घर को खूब मज़बूत कर दिया। यहाँ भी उसी तरह सीढ़ी से हो कर जाने-आने की व्यवस्था की।