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क्रूसो की बीमारी


धरती में घुटने टेक कर भगवान् से प्रार्थना की। अपने जीवन में भक्ति-पूर्वक आज ही मैंने ईश्वर से क्षमा माँगी। ईश्वराराधन के बाद तम्बाकू से मिली हुई शराब को मुँह में डाला। वह ऐसी कड़वी और तेज़ थी कि घोटी नहीं जाती थी। किसी किसी तरह घोट कर सो रहा। पीछे रात में कहीं कोई आवश्यकता हो, इस कारण चिराग़ को न बुझाया। उसे जलता ही रहने दिया।

तम्बाकू का नशा धीरे धीरे मेरे सर्वाङ्ग में फैल गया। मैं शीघ्र ही गाढ़ी नींद में सो गया। जब मेरी नींद टूटी तब तीन बजने का समय था। मालूम होता है, दो दिन दो रात तक बराबर सोकर आज तीसरे दिन तीसरे पहर मेरी नींद खुली। कारण यह कि कई वर्ष बाद मैंने देखा कि तारीख़ की गणना में एक दिन न मालूम कैसे घट गया था। सोचते सोचते मैंने इस बात का पता लगाया कि तम्बाकू के नशे में सारी रात सोकर दूसरे दिन भी मैं दिन-रात सोता ही रहा और तीसरे दिन तीसरे पहर में मेरी आँख खुली। बेहोशी के कारण यह बात उस समय मेरी समझ में न आई। तीसरे दिन को मैं दूसरा दिन समझ बैठा। इसीसे तारीख़ में एक दिन की कमी हो गई।

जो हो, जब मैं जाग उठा तब शरीर हलका मालूम होने लगा और मन भी बहुत प्रसन्न और फुरतीला था। मैं उठकर खड़ा हुआ तो देखा कि पूर्व दिन की अपेक्षा शरीर में कुछ ताक़त मालूम हुई और भूख भी इसके दूसरे दिन भी ज्वर न हुआ बल्कि तबीअत बहुत अच्छी थी। आज २९ वीं तारीख़ है।

तीसवीं जून--आज बुख़ार के आने का दिन न था। मैं बन्दूक़ लेकर बाहर गया, पर बहुत दूर न जा सका। मैं हंस