कर शत्रुओं पर फेंकते हैं, उसी भांति जैसे रामायण में वानर और राक्षस फेंकते हैं। ट्राय के युद्ध में और लंका के युद्ध में समान रूप से देवता आकाश में बैठकर युद्ध देखते हैं। ट्राय का वीर योद्धा मार्स जब प्लास के हाथों मरकर भूमि पर गिरा, तब सात एकड़ धरती घिर गई। रामायण में भी जब कुम्भकर्ण मरकर गिरा तो उसने भी बड़े भूभाग को घेर लिया। विभीषण की भांति ट्राय का एण्टेनर पैरिस के दुष्कृत्यों से सहमत न था, यदि वहां एण्टेनर न होता तो मेनेलिस मारा जाता, उसी प्रकार लंका में विभीषण न होता तो हनुमान का बचना कठिन था। विभीषण की ही भांति एण्टेनर ने पैरिस को समझाया था कि वह हेलना को लौटा दे। अन्त में एण्टेनर पैरिस को छोड़कर मेनेलिस से जा मिला। उसी प्रकार, जैसे विभीषण राम से जा मिला। जैसे युद्ध के बाद रावण के मरने पर राम को सीता मिलती है, उसी प्रकार पैरिस के मरने पर मेनेलिस को हेलना मिलती है और राम ने जैसे विभीषण को लंका का राजा बनाया, उसी भांति एण्टेनर ट्राय का राजा बनाया गया।
अब आप विचार करें कि वाल्मीकि और होमर के इन दोनों महान, काव्यों में कितनी समानता है। इतना ही नहीं कहावतें, मुहावरे, जीव-जन्तु और दृश्यों में भी होमर का यह महाकाव्य वाल्मीकि की रामायण से बहुत मिलता-जुलता है।
विचार होना चाहिए कि राम का काल क्या है? हमारे विचार से मनु का काल त्रेता युग है। इसलिए राम त्रेता-द्वापर की सन्धि में उपस्थित थे। वह काल बहुत करके मसीह पूर्व सत्रहवीं या अठारहवीं शताब्दी है। अर्थात् अब से ३८५० वर्ष पूर्व राम का राज्यकाल है।
वैवस्वत मनु मे राम तक सूर्यवंश की ३९ पीढ़ियां होती हैं। इनमें शाखाओं वाले २६ नाम नहीं जोड़े गए हैं। यही काल त्रेतायुग का भोगकाल है। आधुनिक विद्वानों का भी लगभग यही निर्णय है। यह निर्णय बहुत खोज-बीन के बाद किया गया है, यहां विस्तार-भय से इसका विश्लेषण नहीं किया जा सकता।
आजकल बहुत काल से आश्विन में विजयादशमी का उत्सव मनाया जाता है, जिसमें भारत-भर में रामलीला के बाद रावण के पुतले धूमधाम से जनाए जाते हैं और माना जाता है कि इस दिन रावण की मृत्यु हुई थी,
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