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राम-मूर्तिपूजन

यह एक बड़ी ही महत्त्व और आश्चर्य की बात है कि राम की मूर्ति अथवा कोई चिह्न भूमण्डल-भर में पूजित है। विश्व-भर में राम-माहात्म्य कैसे विस्तृत हुआ यह समझ में नहीं आता है।

सबसे प्रथम भास ने 'प्रतिमा' नाटक में प्रतिमागृह में राम के पूर्वजों की प्रतिमा की स्थापना का उल्लेख किया है। दूसरे किसी ग्रन्थ में ऐसी बात नहीं पाई गई। भाल का काल ईसा पूर्व प्रथम शताब्दी है। भवभूति लिखता है कि राम अयोध्या को लौटते समय पुष्पक विमान से सीता को घटनास्थल दिखला रहे हैं। 'दशरथजातक' की कुछ राम-सम्बन्धी घटनाएं सांची और बड़ौत की प्राचीन प्रस्तर-कला में अभिव्यक्त की गई हैं।

वराहमिहर 'वृहत्संहिता' में रामनुर्ति १२० अंगुल की बनाई जाने का विधान कहता है। प्राचीन श्रावस्ती (सहेत-महेत) के ध्वंसों में भी हनुमान, लक्ष्मण, शूर्पणखा-संवाद-सम्बन्धी मिट्टी की मूर्तियां—जो संभवतः गुप्तकालीन हैं, मिली हैं। एक मूर्ति में शूर्पणखा पृथ्वी पर घुटने टेके, हाथ जोड़े लक्ष्मण मे विवाह-याचता कर रही है। देवगढ़ देवालय में, जो छठी शताब्दी का विर्सित है और गुप्तकालीन है, रामचरित से संबंधित अनेक मूर्तियां प्रदर्शित हैं। इन मूर्तियों में राम बायें हाथ में धनुष लिए दाहिने हाथ से अक्षय मुदा प्रकट कर रहे हैं। राम के पास सीता खड़ी हैं। दाहिनी ओर लक्ष्मण शूर्पणखा के केश पकड़ प्रहार कर रहे हैं। अन्य घटनाएं भी हैं।"

मध्यप्रान्त में सीतापुर तथा ग्वालियर से उतर पढ़ावली के भग्न दुर्ग में १० वीं शताब्दी के एक शिव मंदिर में पत्थर पर राम-सम्बन्धी चित्र खुदे हुए हैं। 'परखाम' में गुप्तकालीन हनुमान की विराट काय मूर्ति मिली है। पहाड़पुर (बंगाल) में ९ वीं शताब्दी के कुछ राम-संबंधी चित्र खोदे हुए हैं, जिन में वानर पत्थर उठा-उठाकर सेतुबंध के काम में लगे हैं। यहीं बाली-सुघरीव-युद्ध प्रदर्शिन है। राजशाही जिले के गणेशपुर गांव से पालकालीन मूर्तियां राम-सीता, लमण और हनुमान की मिली हैं।

दक्षिण एलोरा के ८ वीं शताब्दी के गुहास्थित कैलास मंदिर में ४२ पौराणिक घटनाएं पत्थर पर खुदी हैं। एक में रावण के कैलास-उत्थान का दृश्य अंकित है। ऐसा ही गुप्तकालीन फलक मथुरा में सुरक्षित है। पद्द कदल के विरूपाक्ष मंदिर में, जो ४७० ई° का है, पल्लव-कालीन राम-चरित-सम्बन्धी मूर्तियां उत्कीर्ण हैं। विजयनगर के विट्ठल स्वामी के मंदिर

में तथा जिज्जी दुर्ग के मंदिर के द्वार-स्तम्भों पर भी रामचरित-संबंधी दृश्य

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