राम का जन्म हुआ।
हरिवंश से पता चलता है कि मुद्गल, सृंजय, वृहदिषुं, क्रिमिलाश्व और जयीनर ने पांचाल राज्य स्थापित किया। सहदेव (३८) के दो भाई प्रस्तोक और पिजवन थे। पुत्र सोमक था। पिजवन के पुत्र प्रसिद्ध वैदिक राजा सुदास हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि इस काल में यह राज्य मुद्गल, काम्पिल्य, दिवोदास, प्रस्तोक और सहदेव (३८) में बंट गया था। दिवोदास यद्यपि सुदास के दूर के चचा होते थे; पर उनका मेलजोल सुदास से इतना था कि वे सुदास के पिता कहे गए। इसमें संदेह नहीं कि वैदिक सुदास राम के समकालीन हैं। इसका समर्थन इस बात से भी होता है कि इस वंश की ३७वीं पीढ़ी के राजा सृंजय की दो पुत्रियां भजमान यादव (४४) को व्याही गयी थीं। भजमान के पितामह सत्यवन्त राम के समकालीन थे। इस वंश के ऋक्ष (३४) के पुत्र भृम्यश्व व उनके पुत्र मुद्गल और काम्पिल्य थे। मुद्गल को निषधपति नल की पुत्री इन्द्रसेना व्याही गई थी। ये मुद्गल युद्धकर्ता और वेदर्षि थे। इन्हीं के पुत्र वेद में विख्यात बध्प्रश्व के पुत्र दिवोदास थे तथा कन्या अहिल्या, शरद्वन्त गौतम को ब्याही थी। राम ने अहिल्या का उद्धार किया था और दशरथ ने दिवोदास की शम्वर असुर से युद्ध करने में सहायता दी थी। वेद ने सुदास को दिवोदास और पिजवन दोनों का पुत्र कहा है। सम्भव है कि दिवोदास ने उन्हें गोद लिया हो। दिवोदास के पुत्र थे मित्रायुस, पौत्र थे सोम और प्रपौत्र मैत्रेयम। वाजसनेयी भरद्वाज (वैदिक ऋषि) के मंत्रों में आया है कि दिवोदास, प्रस्तोक और अभ्यतिन चायमान ने उनका सत्कार किया। दशरथ दिवोदास के समकालीन हैं। भरद्वाज के पुत्र पायु और शुनहोत्र थे। वैदिक ऋषि गृत्समद शुनहोत्र के पुत्र थे। अहिल्या के पुत्र शतानन्द सीरध्वज जनक के पुरोहित थे।
इक्ष्वाकु के सौ पुत्र कहे जाते हैं, जिनमें इनके वाद विकुक्षि अयोध्या के राजा हुए, जो राजर्षि भी कहाते थे। इसके पुत्र पुरंजय ने युद्ध में इन्द्र की सहायता की थी। विश्वगश्व का हयदल अजेय था। श्रावस्त (१०) ने श्रावस्ती बसाई। कुवलयाश्व (१२) ने धुन्ध राक्षस को मारा। युवनाश्व महायज्ञकर्ता तथा उनके पुत्र मान्धातृ चक्रवर्ती थे। इनका विवाह शशिबिन्दु पौरव महाराज की पुत्री विन्दुमती से हुआ। इनका दस लाख का हयबल था और इन्होंने लंका, अफ्रीका (कुशद्वीप) तथा दक्षिण महासागर के द्वीप समूहों को जय किया था। वे बड़े न्यायी, दानी और प्रबन्धक थे। इनकी हत्या मथुरा के असुर राजा ने वन में एकाकी पाकर की। पुरुकुत्स और त्रसदस्यु वैदिक नरेश हैं। नाभाग ने वेश्या स्त्री
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