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राम-भाष्यम्

राम

उत्तर-पूर्व से अफगानिस्तान पामीर, सिन्ध और पंजाब तक भारत में देवों के प्रथम भारतीय सम्राट इन्द्र का राज्य था।

इन्द्र का यह साम्राज्य दैत्यों और दानवों के राज्यों की सीमा से लगा हुआ था और आए दिन इन देश वालों से इन्द्र के युद्ध हुआ करते थे। बृहस्पति उसके कुलगुरु थे। पत्नी का नाम तारा था। असुर याजक चन्द्र उसका वनस्पतियों का अधिपति था। उसका बृहस्पति की पत्नी तारा से सम्बन्ध स्थापित हो गया और वह उसे भगा ले गया। इसी बात पर झगड़ा बढ़ गया। चन्द्र का पक्ष दैत्यों ने लिया और अंत में एक देवासुर-संग्राम हुआ, जो 'तारकामय युद्ध' के नाम प्रख्यात है। इस युद्ध में चन्द्र ने दैत्य-दानवों की सहायता से इन्द्र को हरा दिया; पर अंत में संधि हुई और तारा बृहस्पति को लौटा दी गई; परन्तु वह गर्भवती थी और गर्भ चन्द्रमा का था। जब उसने पुत्र को जन्म दिया, तो उसे चन्द्र को दे दिया गया। इस बालक का नाम बुध रखा गया। युवा होने पर वैवस्वत मनु नामक एक आर्य नेता ने, जो सूर्य का पुत्र था, अपनी पुत्री इला उसे ब्याह दी; परन्तु अपवाद और वैमनस्य के कारण मनु और बुध दोनों ही को इन्द्र की राजधानी एलम में रहना असम्भव हो गया और श्वसुर-दामाद ने पश्चिमोत्तर के दुर्गम दरों को पार कर भारत में प्रवेश किया। भारत में आकर सरयू तट पर मनु ने अयोध्या नगरी बनाकर अपने पिता के नाम पर एक 'सूर्यवंश' की गद्दी स्थापित की और बुध ने अपने पिता के नाम पर 'चन्द्रवंश' की गद्दी स्थापित कर गंगा-जमुना के संगम पर प्रतिष्ठान नगरी बसायी। धीरे-धीरे इन दोनों के वंशों की अनेक शाखाएं फैलीं, जो चन्द्रमंडल और सूर्यमंडल के नाम से विख्यात हुई। दोनों मंडलों का संयुक्त नाम आर्यावर्त पड़ा। सूर्यवंश के उत्तर कोसल राजवंश की ३९वीं पीढ़ी में

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