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राजाभोजका स्वप्ना॥
वह कौनसा मनुष्य है जिसने महा प्रतापी राजा महाराज भोजका नाम न सुनाहो उसकी महिमा और कीर्ति तो सारे जगत् में ब्याप रही है बड़े बड़े महिपाल उसका नाम सुनतेही काँप उठते थे और बड़े बड़े भूपति उसके पाँव में अपना शिर नवाते सेना उसकी समुद्र की तरंगों का नमूना और खजाना उसका सोने चांदी और रत्नों की खान से भी दूना द्वार में राजा करणको लोगों के जी से भुला दिया था और न्याय में विक्रम को भी शर्मा लिया था कोई उसके राज भर में भूखा न सोता और न कोई उघाड़ा रहने पाता जो सत्तू मांगने आता उसे मोतीचूर मिलता और जो गजी चाहता उसे मलमल दियाजाता पैसे की जगह लोगों को अशरफ़ियाँ बाँटता और मेहकी तरह फ़कीरों पर मोती बरसाता एक एक श्लोक के