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पाता है वह आम खाताहै और जो बबूर लगाताहै वह कांटे चुनता है तो क्या उस लोकमें जोजैसा करेगा सर्वदशी घटघट अन्तर्यामी से उसका बदला वैसाही न पावेगा सारी सृष्टि पुकारे कहती है और हमारा अन्तः करण भी इस बात पर गवाही देता है कि ईश्वर अन्याय कभी नहीं करेगा जो जैसा करेगा वैसाही उस्से उस्का बदला पावेगा तबतीसरा पण्डित आगे बढ़ा और यो जबान खोली कि महाराजाधिराज परमेश्वर के यहांसे हमलोगों को वैसाही बदला मिलेगा कि जैसा हमलोग काम करते हैं इस्में कुछभी सन्देह नहीं आप बहुत यथार्थ फर्माते हैं परमेश्वर अन्याय कभी मिहीं करेगा पर यह इतने प्रायचिश्त्त और होम और यह और जप तप तीर्थ यात्रा किस लिये बनाये गये हैं यह इसीलिये हैं कि जिसमें परमेश्वर हम लोगों का अपराध क्षमा करै और बैकुंठ में अपने पास रहने को ठौर देवे राजा ने कहा देवता जी कलतक तो मैं आप की सब बात मानसक्ताथा लेकिन अबतो मुझे