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लाई देते जिन पर राजा के कारदार जुल्म किया करते थे और उसने कुछ भी उसकी तहक़ीक़ात और उपाय न की न कभी उनबीमारों को देखता जिनका चंगा करादेना राजाके इख्तियार में था कभी वे ब्यथा के जले और विपत्ति के मारे दिखलाई देते जिनका जी राजाके दो बात कह देने से ठंढा और सून्तुष्ट हो सक्ता था कभी अपने लड़का लड़कियों को देखता जिन्हें वह पढ़ा लिखा कर अच्छी अच्छी बातें सिखाकर बड़े बड़े पापों से बचा सक्ता था कभी उन गाँव और इलाका को देखता जिनमें कूए तालाब खुद्वाने और किसानों को मदद देने और उन्हें खेती बारी की नई नई तीबें बतलाने से हज़ारों गरीबों का भला कर सक्ता था कभी उन टूटे हुये पुल और रास्तों को देखता जिन्हें दुरुस्त करने से वह लाखों मुसाफिरों को आराम पहुँचा सक्ता था राजा से जियादः देखा न जासका थोड़ाही देर में घबरा कर हाथों से अपनी आँखों को ढाँप लिया वह अपने घमण्ड में