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में उड़ते रहे क्या कभी तेरे जी में किसी राजा की ओरसे कुछ द्वेष नहीं रहा या उसके मुल्कमाल पर लोभ नहीं आया या अपनी बड़ाई का अभिमान नहीं हुआ या दूसरे की सुन्दर स्त्री देखकर उस पर दिल न चला राजा ने एक बड़ी लम्बी ठंडी साँस ली और अत्यन्त निराश होके यह बात कही कि इस संसार में ऐसा कोई मनुष्य नहीं है जो कहसके कि मेरों हृदय शुद्ध और मनमें कुछ भी पाप नहीं इस संसार में निष्पाप रहना बड़ा कठिन है जो पुण्य करना चाहतेहैं उस में भी पाप निकल आता है इस संसार में पार से रहित कोई भी महीं ईश्वर के सामने पवित्र पुण्यात्मा कोई भी नहीं सारा मन्दिर बरन सारा धरती और आकाश गूंज उठा कोई भी नहीं कोई भी नहीं। सत्यने जो आँख उठाकर उस मन्दिर की एक दीवार की तरफ़ देखा तो वह उसी दम् संगमरमर से आइना बनगई राजा से कहा कि अब टुक इस आइने का भी तमाशा देख और जो कर्त्तव्य कर्मों के