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सारा मकान भरगया था बीच बीच में पंखवाले सांप और बिच्छू भी दिखलाई देते थे राजा घबराकर चिल्लाउठा कि यह मैं किस आफ़त में पड़ा इन कमबख्तों को यहां किसने आने दिया सत्य बोला राजा सिवाय तेरे इनको यहाँ और कौन आने देवेगा तूही तो इन सबको लायाहै यह सब तेरे मनकी बुरी बासना है तने समझा था कि जैसे समुद्र में लहरें उठा और मिटा करती हैं उसीतरह मनुष्यके मनमें भी संकल्पकी मौजें उठकर मिट जाती हैं पर रे मढ़ याद रख कि आदमी के चित्त में ऐसा सोच विचार कोई नहीं आता जो जगत्कर्ता प्राणदाता परमेश्वर के सामने प्रत्यक्ष नहीं होजाता यह चिमगादड़ और भनगे और सांप बिच्छू और कीड़े मकोड़े जो तुझे दिखलाई देते हैं वे सब काम क्रोध मोह लोभ मत्सर अभिमान मद ईर्षा के संकल्प विकल्प हैं जो दिन रात तेरे अन्तःकरण में उठाकिये और इन्हीं चिमगादड़ और भनगे और सांप बिच्छू और कीड़े मकोड़ों की तरह तेरे हृदय के आकाश