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केवल ईश्वर की भक्ति और जीवों की दया से किया हो तूने यह तप इसी वास्ते किया कि जिस में तू अपने को औरों से अच्छा और बढ़के बिचारे ऐसेही तप पर गोबर गनेश तू स्वर्ग मिलनेकी उम्मेद रखता है पर यहती बतला कि मन्दिरकी उन मुड़ेरों पर वे जानवर से क्या दिखलाई देते हैं कैसेसुन्दर और प्यारे मालूम होते हैं पर तोउनके पन्नेके हैं और गरदने फ़ीरोज़ की लेकि़न दुममें तो सारे किस्मके जवाहिर जड़ दिये हैं राजा के जीमें घमंड की चिड़ियाने फिर फुर फुरीली मानों बुझते हुये दीयेकी तरह जग जगा उठा जल्दी जवाब दिया कि हे सत्य यह जो कुछ न मन्दिर की मुँडेरों पर देखताहै मेरे संध्याबंदन का प्रभावहै मैंने जो रातों जाग २ कर और माथा रगड़ते २ इस मंदिर की दिहली को घिसाकर ईश्वर की स्तुति बन्दना और बिनती प्रार्थना की है वही अब चिड़ियों की तरह पंख फैला कर आकाश को जाती हैं मानों ईश्वर के सामने पहुँचकर अब मुझे स्वर्ग का राजा बनाती हैं