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सत्य ने कहा कि राजा जैसे कोई किसी चीज़ को मोमसे चिपकाता है उसी तरह तू ने अपने भुलाने को प्रशंसा पाने की इच्छा से यह फल इस पेड़ पर लगा लिये थे सत्य के तेज से वह मोम गलगया पेड़ ठूंठे का ठूंठा रह गया जो कुछ तू ने दिया और किया सर्व दुनिया के दिखलाने और मनुष्यों से प्रशंसा पाने के लिये केवल ईश्वर की भक्ति और जीवों की दया से तो कुछ नहीं दिया यदि कुछ दिया हो या कियाहो तो तूही क्यों नहीं बतलाता मूर्ख इसी के भरोसे परत फूलाहुआ स्वर्गमें जाने को तैयार हुआ था भोज ने एक ठंढी श्वास ली उसने तो औरों को भुलाया था पर वह सब से अधिक भूला हुआ निकला सत्यने उस पेड़की तरफ़ हाथ बढ़ाया जो सोने की तरह चमकते पीले पीले फलों से लदाहुआ था सत्यका हाथ पास आते ही इसका भी वही हाल होगया जो पहले का हुआ था सत्य बोला कि राजा इस पेड़ में ये फल तूने अपने भुलाने को स्वार्थ सुधारनेकी इच्छासे लगा लिये थे कहने वाले ने ठीक