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ईश्वर दोनों की आँखों में निर्दोष और निष्पाप हो सूर्य के सपहलमें लोग कलंक बतलाते हैं पर तुम्हें एक छीटा भी नहीं लगाते सत्य बोला कि भोज जल में इन पेड़ों के पाससे आया था जिन्हें तू ईश्वर की भक्ति और जीवों की दया के बुलकाता है। ता तो उनमें फूल कुछ भी नहीं था निरें ठूंठसे खड़े थे यहालाल पीले और सफेद फल किहां से आमये यहासचमुच उन पेडों में फायलों हैं ज्या तुझे कुससने और खुश करते कि किसी के उनकी टहनियों से उस्का दिये हैं जपली जन पेड़ों के पास कुलकर देखें तो सही मेरे सिम में तो यह लाल लाल मला जिन्हें तु अअनादानके वभावसेसमें बतलाताहै अश और मीलिमल्लाने की चाह अर्थात प्रशंसा पाने की बान्यानोइस फ्रेडसे लगाये है निवान ज्योही सत्य नि उसाजूके छने को हाफ बड़ाया मजा संवाने मैं क्या रखना है कि वह सारे मला जैसे समान से ओले गिरते हैं एक आतकी आन में बिरसी पर किएपले धरती किलकल लाल होगई पर पेड़ों पर सिवाय पत्तों को और कुंछन रहा