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न किया हो पर पुण्य मैंने इतन किया है कि भोससे भारीपापी भी उसके पासिंगे में ना ठहरेगा राजा को वहां उस समय स्वप्न में सोम पेड़ बड़े ऊँच २ अपनी आँख के साम्हने मंदिवलाई दियेज्ञपालोस इंसना लदे हुयेकि मारे झकाउनकी टहनियाँ धरती सक का गई धीराजा उन्हें देिखतेही हरा होगा और बोला कि संस्थं यह ईश्वर की मिति जीवों की दया अर्थात्ई श्वर और मनुदोनों की नीति के पैड हैं। दिख फलोकबोलाले धरती पर नये जाले हैं यहक्षप्रतीनी मेरही लगाये हि पहला मैं गतो वह सब लालरीपाल मेरेदानसे लगे है और दूसरे मैंग्रहक्पी ले पालो मिरे न्यायसे और तीसरे में यह सब सफेदफिल मेरे सपेका प्रभाव दिखलातेहैमानों डिस समय चारों ओरसे यहध्वनि राजाक कान में चली आती थी किधिन्यहो महाराज अन्य होघाज तुमसा पुण्यात्मा दूसरा कोई नहीं समसाक्षात् धर्म का अवतीराहो इसलीकामेंक्ष मी सुमनै बड़ा पद छाया हो धौर उस लोका भी तो इससे अधिकमिलेगा तुमा मनुष्य और