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राजभक्ति।

राजकुमार आए। बड़े बड़े राजकर्मचारियोंके जितने लड़के थे, सब उन्हें चारों तरफसे घेरकर बैठ गए। उनके बीचमें जरासा भी व्यवधान न रहा कि बाहरसे दूसरा कोई प्रवेश कर सके। इस व्यवधानको और भी अधिक संकीर्ण करनेके लिये कोतवालका लड़का पहरा देने लगा। इसके लिये उसे एक अच्छा 'सिरोपाव ' मिला। इसके बाद ढेरकी ढेर आतिशबाजी उड़ाई गई और गजपुत्र जहाज पर चढ़कर चले गए। बस, हमारी कहानी समाप्त हो गई।

यह बात क्या हुई? केवल एक कहानी। राज्य और राजपुत्रका यह सुदुर्लभ मिलन जितना सुदूर, जितना स्वल्प और जितना निरर्थक हो सकता था, उतना किया गया। सारे देशका पर्यटन करके, उसे (देशको) जितना कम जाना जा सकता था और उसके साथ जितना कम योगस्थापन हो सकता था, वह बहुत बड़ा खर्च करके बड़ी निपुणता और बड़े भारी समारोहके साथ सम्पूर्ण किया गया।

अवश्य ही हमारे राजपुरुषोंने इस विषयमें कोई पालिसी सोर्चा होगी-उनका कोई गहरा मतलब होगा नहीं तो वे इतना व्यर्थ खर्च क्यों करते? 'नानीकी कहानी' का राजपुत्र किसी सोती हुई राजकन्याको जगानेके लिए सात समुद्र और तेरह नदी पार करके गया था। हमारे