कारण यह था कि तैमूर ने जब मुलतान पर आक्रमण किया था, उस समय जाटों ने उसके साथ भयंकर युद्ध किया था। इसलिये उसके बदले में तैमूर ने अपनी सेना लेकर भटनेर पर आक्रमण किया और वहाँ के जाटों को उसने भयानक क्षति पहुँचायी। इस भटनेर के साथ जाटों और भाटी लोगों का इतना निकटवर्ती सम्बन्ध है कि उन दोनों को ऐतिहासिक आधार लेकर और सही की खोज करके, एक दूसरे से पृथक करना कठिन मालूम होता है। तैमूर के आक्रमण करने के कुछ दिनों के वाद मरोठ और फूलरा के एक वंशज ने भाटी राजा की अधीनता से निकलकर भटनेर पर अधिकार कर लिया था। उस भाटी राजा का नाम था बैरसी। भटनेर में उन दिनों एक मुसलमान शासन करता था। उसकी नियुक्ति तैमूर के द्वारा हुई थी अथवा दिल्ली के बादशाह के द्वारा, इसको निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता। कुछ भी हो, उन दिनों भटनेर में जो मुसलमान शासन करता था, उसका नाम था, चिगात खाँ। भटनेर पर सत्ताईस वर्ष तक राज्य करके वैरसी ने संसार छोड़कर स्वर्ग की यात्रा की और उसके स्थान पर उसका बेटा भीरू राजा हुआ। भीरु के शासनकाल में चिगात खाँ के उत्तराधिकारियों ने दिल्ली के बादशाह की सहायता लेकर दो बार भटनेर पर आक्रमण किया और दोनों वार भीरू ने उसको पराजित किया। इसके पश्चात तीसरी वार फिर उसने एक शक्तिशाली सेना लेकर भटनेर पर आक्रमण किया। उस समय युद्ध में भीरू की शक्तियाँ निर्बल पड़ गयीं। भीरू को अन्त में शत्रु से सन्धि का प्रस्ताव करना पड़ा। उस समय शत्रु से उसको उत्तर मिला कि यदि आप इस्लाम धर्म को स्वीकार कर लें अथवा दिल्ली के बादशाह के साथ अपनी लड़की का व्याह कर दें तो आप के राज्य भटनेर का होने वाला विनाश रोका जायेगा। भीरू के सामने इस समय भयानक विपद थी। वह अपनी छोटी-सी सेना के साथ भटनेर के दुर्ग में था और खाने-पीने की तथा दूसरी कठिनाइयाँ भयानक रूप से उसके सामने थी। प्राणों की रक्षा का कोई दूसरा उपाय न देखकर उसने पहली शर्त-इस्लाम को स्वीकार कर लिया। उसी समय से भीरू का वंश भट्टी वंश के नाम से प्रसिद्ध हुआ और शेष भाटी लोगों से उसका सम्बन्ध टूट गया। भीरू के पश्चात् उसके वंश के अन्य छः लोगों ने भटनेर के सिंहासन पर बैठकर राज्य किया। भीरू से छठे राजा का नाम रावदुलीच उर्फ हयातखाँ था। वह जिस समय भटनेर के सिंहासन पर बैठा, उस समय बीकानेर के राजा रायसिंह ने आक्रमण करके भटनेर पर अधिकार कर लिया। उसके बाद भीरू के वंशज फतेहाबाद में जाकर रहने लगे। हयातखां के मरने के बाद उसके पोते हुसैन खाँ ने राजा सुजानसिंह के समय आक्रमण करके भटनेर पर अपना अधिकार कर लिया। अन्त में राजा सूरतसिंह ने बहादुर खाँ के शासनकाल में भटनेर पर आक्रमण करके उसको अपने राज्य में मिला लिया। राजा सूरतसिंह ने जब भटनेर पर आक्रमण किया था, जाब्ता खाँ भटनेर में उस समय राजा था। वह रेनी नामक स्थान में रहा करता था और उसके अधिकार में पच्चीस ग्राम थे। इस रेनी नगर को बीकानेर के रायसिंह ने अपनी रानी के नाम से बसाया था। इमाम मोहम्मद ने उस नगर पर अधिकार कर लिया था। जाब्ता खाँ ने लूटमार करके बहुत-सी सम्पत्ति अपने 565
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