जल-यहाँ की भूमि में जल वहुत गहराई में मिलता है। वीकानेर की राजधानी के पास के स्थानों में दो सौ और कहीं तीन सौ फुट जमीन खोदने पर जल निकलता है। वहाँ पर ऐसा कोई स्थान नहीं है, जहाँ साठ फुट खोदने के पहले पीने का पानी निकल सके। तीस फुट खोदने के बाद जो पानी निकलता है, वह पशुओं के पीने के लायक होता है। प्रत्येक कुए के आस-पास एक तरह के वृक्ष की दीवार बँधी रहती है। इसका घेरा बालू को कुए में जाने से रोकता है। राज्य के सभी प्रधान नगरों में माली लोग जल वेचने का कार्य करते हैं। लोगों के घरों पर हौज बने होते हैं। उनमें वरसात का पानी भरकर इकट्ठा हो जाता है। ये हौज इंटों और पत्थरों से बनाये जाते हैं। उनके ऊपर हवा जाने का एक मार्ग खुला रहता है। इनमें से कुछ हौज बहुत बड़े होते हैं। इनका पानी आठ महीने तक और कभी-कभी वारह महीने तक उपयोग में लाने के लिये अच्छा बना रहता है। वीकानेर में जल का अभाव होने के कारण वहाँ के लोगों को इस प्रकार के प्रवन्ध करने पड़ते हैं। नमक की झीलें-यहाँ पर नमक की जो झीलें हैं, वे एक जगह मिलकर सिर झील के नाम से प्रसिद्ध हो गयी हैं। मारवाड़ की झीलों की तरह यहाँ की कोई भी झील.बड़ी और विशाल नहीं है। सिर झील के तट पर सिर नाम का एक विशाल नगर वसा हुआ है। उसका नाम यहाँ की बड़ी झील के नाम से रखा गया है। इस राज्य में सिर झील की लम्बाई और चौड़ाई प्रायः छ: मील की समझी जाती है। दूसरी नमक की झील लम्वाई और चौड़ाई में दो मील की है और वह चौपूर के पास है। ये दोनों झीलें कहीं पर भी पाँच फुट से अधिक गहरी नहीं हैं। गर्मी के दिनों में इन झीलों का नमक अपने आप जल के ऊपर आ जाता है और वह जमी हुई अवस्था में लोगों को मिलता है। इन दोनों झीलों का नमक राज्य की दक्षिणी झील से हल्का होता है और इसलिये वह सस्ता भी विकता है। खनिज पदार्थ-इस राज्य में खनिज पदार्थों की पैदावार बहुत कम है। राज्य के कई भागों में अच्छे पत्थर की खानें हैं। राजधानी से छब्बीस मील की दूरी पर उत्तर-पश्चिम की तरफ पूसियारा नाम की एक खान है। वीदासर और विरामसर में ताँबे की खाने हैं। लेकिन विरामसर की खान से कोई लाभ नहीं होता। क्योंकि उससे जो ताँवा निकलता है, वह खर्च को भी पूरा नहीं करता। वीदासर की खानों से तीस वर्ष तक ताँवा निकालने का काम किया गया है। परन्तु अव वह बन्द है। वीकानेर में कोलाद नाम का एक स्थान है। उसके करीव की एक खान से तेल से भीगी हुई मिट्टी निकलती है। वह विकने के लिये दूसरे देशों और राज्यों में भेजी जाती है। इस मिट्टी से शरीर और वालों की सफाई होती है। कहा जाता है कि इस मिट्टी के प्रयोग से शरीर की सुन्दरता बढ़ती है। राज्य को इस मिट्टी से पन्द्रह सौ रुपये की आमदनी होती है। राज्य के पशु-यहाँ की गायें श्रेष्ठ मानी जाती हैं। ऊँट बोझ लादने और युद्ध में सवारी का काम देते हैं। रतवर्ष के अन्यान्य स्थानों की अपेक्षा यहाँ के ऊँट अधिक उपयोगी समझे जाते हैं। इसीलिये उनकी कीमत भी अधिक होती है। इस राज्य में भेड़ों की संख्या बहुत पूसियारा नामक खान से राज्य को प्रत्येक वर्ष दो हजार रुपये की आमदनी होती है। 557
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