निकाला गया था और भारत में उसे कोई राजा शरण देने को तैयार न था। इसी अमरकोट में हुमायूँ का पुत्र अकबर पैदा हुआ था। परमार वंश में कुल पैंतीस शाखायें थीं और उनमें विहल नाम की शाखा अधिक प्रसिद्ध हुई। इस शाखा के राजाओं का राज्य चन्द्रावती में था, जो अरावली पहाड़ के बिल्कुल नीचे था। बीजोल्याँ का सरदार राणा के दरबार में सम्मानित स्थान पर था, वह प्राचीन घाट शाखा का परमार राजपूत था। परमारों की पैंतीस शाखायें इस प्रकार हैं मोरी - इस शाखा में चन्द्रगुप्त और गहिलोतों से पहले के चित्तौड़ के राजा हुए। सोड - सिकन्दर के समय के सोगडी जो भारत की मरुभूमि में घाट के राजा थे। साँखला - पूँगल के जागीरदार और मारवाड़ में । खैर - इनकी राजधानी खेरालू थी। ऊमरा और सूमरा - पहले ये लोग मरुभूमि में रहते थे और अब इस शाखा के लोग मुसलमान है। वेहिल अथवा बिहिल - चन्द्रावती के राजा। मैयावत - मेवाड़ में बीजील्याँ के आधुनिक जागीरदार। बुल्हर - मरुभूमि के उत्तरी भाग में । काबा - पहले सौराष्ट्र देश में रहते थे और आजकल उनमें से कुछ लोग सिरोही में पाये जाते हैं। ऊमट - मालवा में ऊमटवाड़ा के राजा । वहाँ पर इस शाखा के लोग बारह पीढ़ी से रहते हैं। परमार राजपूतों के अधिकार में जितने भी प्रदेश हैं, ऊमटवाड़ा सबसे बड़ा है। रेहवर,दुंडा,सोरटिया,हरैर- मालवा में इन शाखाओं के लोग छोटे-छोटे जागीरदार हैं । इनके सिवा अन्य शाखायें बहुत साधारण हैं, जैसे :- चौंदा, खेचड़, सुगडा, बरकोटा, पूनी, सम्पुल, भीवा, कालपुरस, कालमोह, कोहिला, पूया, कहोरिया, धुन्ध, देवा, वरहर, जीप्रा, पोसरा, धूता, रिकमवा, ढीका आदि। इनमें से कई शाखाओं के लोगों ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया है। चौहान - चौहान वंश को चाहुमाना भी लिखा गया है। चौहान समस्त राजपूतों में शूरवीर रहे हैं। इनके संबंध में किसी को विरोध नहीं हो सकता है। इस वंश की शाखाओं के लोगों में भी बहादुरी के कार्य सदा रहे हैं। चौहानों की चौबीसु शाखायें हैं, उनमें हाड़ा, खीची, देवड़ा, सोनगरा शाखायें अपनी वीरता के लिये प्रसिद्ध रही हैं। चौहान का अर्थ है, चार बाँह वाला अर्थात् चतुर्भुज । पुराणों की कथाओं के अनुसार, दैत्यों से लड़ने के लिये जिनको ब्राह्मणों ने भेजा था, उनमें चौहान के सिवा दैत्यों से सभी पराजित हुए थे। चौहानों की उत्पत्ति के सम्बंध में हिन्दुओं की जो पौराणिक कथा है, उसको यहाँ पर संक्षेप में लिखना आवश्यक मालूम होता है । वह इस प्रकार है आबू पर्वत को जिसे संस्कृत में अर्बुटगिरि कहा जाता है, हिन्दू ग्रंथों में बहुत पवित्र माना गया है। उसके सम्बंध में लिखा गया है कि उसकी चोटी पर केवल एक दिन का व्रत करने से मनुष्य सारे पापों से मुक्त हो जाता है। कुछ विद्वानों की धारणा है कि चाहुमान चौहान वंश का आदि पुरुष था और उसी के नाम से चौहान वंश . 1. चला। 51
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