1 वीदा को न हुआ। इसलिए अपनी सफलता के लिये उसने एक योजना तैयार की। वीदा ने मोहिलों के राजा के साथ मारवाड़ की एक राजकुमारी के विवाह का प्रस्ताव किया। राठौर राजकुमारी के साथ विवाह करना मोहिल राजा के लिए अत्यन्त सम्मानपूर्ण था। इसलिए उसने उस प्रस्ताव को तुरन्त स्वीकार कर लिया। मोहिलों का राजा छापर नगर में रहता था। इसलिए मारवाड़ के राठौर विवाह करने के लिए राजकुमारी को छापर में ले आये। उसके साथ बहुत-सी डोलियाँ और वहलें आयीं। मोहिलों के राजा ने बड़े सम्मान के साथ उन सब को अपने दुर्ग में स्थान दिया। दुर्ग के भीतर पहुँचने पर डोलियों और वहलों से बहुत बड़ी संख्या में तलवारें लिए हुए राठौर सैनिक निकल पड़े और उन्होंने मोहिलों के राजा पर आक्रमण किया। उस दुर्ग में मोहिलों की जो सेना थी, उसके साथ बड़ी तेजी से मारकाट आरम्भ हो गयी। इसी समय राठौरों की एक सेना वाहर से आकर उस दुर्ग में पहुँच गयी। उसकी सहायता से वीदा ने वहाँ विजय प्राप्त की और उसने मोहिलों को अपनी अधीनता स्वीकार करने के लिए विवश किया, इस जीत के उपलक्ष में वीदा ने लाडनू नामक नगर और बारह ग्राम अपने पिता को दिये, जो अव तक मारवाड़ राज्य के अधिकार में हैं। वीदा की मृत्यु के बाद उसके पुत्र तेजसिंह ने अपने पिता के नाम से वहाँ पर राजधानी वनवाई। उसके बाद के वंशज वीदावत के नाम से प्रसिद्ध हुये। वीदावत लोग साहसी और शूरवीर थे, बीकानेर के राजा ने उनसे कभी कर नहीं लिया। यहाँ की जमीन एक सी थी और खेती के लिये अत्यन्त उपयोगी थी। इसलिये वहाँ पर गेहूँ की पैदावार बहुत होती थी। उस समय के ग्रन्थों से पता चलता है कि मोहिलों के समस्त नगरों और ग्रामों में चालीस हजार से लेकर पचास हजार व्यक्ति तक रहते थे। इस आवादी का एक तिहाई भाग राठौरों का था। वह राज्य वारह भागों में विभाजित था और प्रत्येक भाग एक जागीर के रूप में था। उनमें पाँच जागीरों के सामन्त वहुत प्रसिद्ध थे। इस राज्य के आदि निवासी मोहिल लोग थे। जिनके परिवार वहाँ पर अव वीस से अधिक न रह गये। वहाँ की शेष जातियों में जाट, कृपक और व्यवसायी हैं। 551
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