हुआ कि राजस्थान के अधिकांश राजा और सामन्त रामसिंह के विरुद्ध वखसिंह की सहायता करेंगे, तो वे भयभीत हो उठे। राजस्थान के राजाओं में यह अफवाह फैल गई कि वख्तसिंह के विरुद्ध रामसिंह की सहायता करने के लिये मराठा लोग आने की तैयारी कर रहे हैं। इससे राजपूतों में सनसनी पैदा हो गयी और वे लोग वख्तसिंह की सहायता करने के लिये तैयार हो गए। रामसिंह के दूत ने मराठों को समझा-बुझा कर मारवाड़ की तरफ चलने के लिये तैयार कर लिया। मराठा लोग रामसिंह की सहायता के नाम पर मारवाड़ को लूटने और वहाँ की अपरिमित सम्पत्ति ले जाने के लिये दक्षिण से रवाना हुए। मरुभूमि के सभी राजाओं और सामन्तों ने मराठों के विरुद्ध वखसिंह की सहायता करने का निश्चय किया। इस दशा में मारवाड़ पर आक्रमण करने का मराठों का इरादा क्षत विक्षत हो गया और उन्होंने जो आशायें की थी, उनमें उनको निराश हो जाना पड़ा। राजपूतों की एकता ने मराठों को मारवाड़ की तरफ बढ़ने का मौका नहीं दिया। फिर भी मराठों को रोकने के लिए बख्तसिंह जोधपुर से रवाना हुआ और अजमेर के पास जाकर उस रास्ते पर मुकाम किया, जहाँ से होकर शत्रुओं की सेना मारवाड़ राज्य में प्रवेश कर सकती थी। आमेर के राजा माधवसिंह की राठौड़ रानी ने वहाँ पर जाकर वख्तसिंह से भेंट की और उसने रामसिंह के हितों की रक्षा करने के लिए वख्तसिंह के दीपक को वुझा दिया ।। सम्वत् 1809 सन् 1753 ईसवी में वख्तसिंह ने संसार छोड़ कर परलोक की यात्रा की। मारवाड़ के राज सिंहासन पर बैठकर वख्तसिंह ने तीन वर्ष व्यतीत किये। इस थोड़े से समय में उसने मारवाड़ के समस्त दुर्गों को सुदृढ़ बनवाया और जोधपुर में कई एक ऐसे कार्य किये जिनसे राठौड़ों की शक्तियां पहले की अपेक्षा अधिक मजबूत हो गई थीं। मुस्लिम शासकों ने हिन्दुओं के साथ जो अमानुषिक व्यवहार और अत्याचार किये थे, वख्तसिंह ने भली प्रकार उनका वदला लिया। मुसलमानों के अत्याचारों में हिन्दुओं के मन्दिर गिराकर उनके स्थानों पर मस्जिदें बनवाई गई थीं। वख्तसिंह ने नागौर की मस्जिदें गिरवाकर उनके स्थान पर मन्दिर बनवाये थे । वलसिंह के शासनकाल में दिल्ली के मुगल वादशाह की शक्तियाँ विल्कुल निर्वल पड़ गई थीं और समस्त मुगल साम्राज्य में विद्रोह पैदा हो गये थे। कृष्णा नदी के किनारे मराठा किसानों ने संगठित होकर दिल्ली के मुगलों के विरुद्ध विद्रोह किया था। उनके संगठन से राजस्थान के राजाओं के सामने भीषण आतंक पैदा हो गया था। यदि वख्तसिंह की मृत्यु न हो जाती और उसको मारवाड़ के राज्य सिंहासन पर कुछ अधिक समय तक बैठने का अवसर मिलता तो राजस्थान की शक्तियाँ इतनी सुदृढ़ हो जाती कि फिर उनको कोई संगठित शक्ति आसानी के साथ दवा न सकती। 1. कुछ लेखकों को कहना है कि जयपुर के राजा माधवसिंह की स्त्री ने वहाँ जाकर बख्तसिंह को विषाक्त वस्त्र दिये थे, जिनको पहनने के बाद वख्तसिंह की मृत्यु हो गई। कुछ भी हो, रामसिंह के षड़यंत्र के अनुसार, माधवसिंह की रानी के विषाक्त वस्त्रों के द्वारा उस समय वख्तसिंह की मृत्यु हो गई थी। 470
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