ठसके बाद शूद्राणी से उत्पन्न होने वाला कृष्ण राजा हुआ। कांडव देश से आया हुआ यह वंश 23 पीढ़ी तक चला। उसके अंतिम राजा का नाम सुलोमधी था। इस तरह से महाभारत के पश्चात् छ: वंशावलियाँ दी गयी हैं। उनमें जरासंध के वंशज सहदेव से सलोमधी तक वसायी राजाओं का लगातार क्रम चला है। कुछ छोटी-छोटी वंशावलियाँ भी दी गयी हैं। उनके विवरण यहाँ पर देने की जरूरत नहीं है। संसार के बाकी हिस्से में भी राजाओं का शासन चला है। उनके विस्तार में हम यहा नहीं जाना चाहते। संसार के बाकी शासकों का शासन यहूदियों, स्पार्टावालों और एथीनियन लोगों से सम्बंध रखता है। ठनका प्रारंभ ईसा से करीव ग्यारह सौ वर्ष पहले हुआ था। यह समय महाभारत से आधी शताब्दी भी दूर नहीं मालूम होता। इसके साथ-साथ वैविलोन, असीरिया और मीडिया के शासन भी हैं। उनका प्रारंभ ईसा से आठ सौ वर्ष पहले और यहूदी रानाओं के शासन का अंत छ: सौ वर्ष पहले हुआ। सम्पूर्ण संसार के प्राचीन इतिहास की खोज गंभीरता के साथ करके एक सही निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है। अपने इस प्रकार के निर्णय में हमने हिदू ग्रंथों के साथ-साथ संसार की अन्य प्राचीन जातियों के ग्रंथों और सों को भी पूर्ण रूप से समझने की कोशिश की है। इसके साथ ही वेन्टले साहब की तरह के प्रसिद्ध विद्वान लेखकों के निर्णय देकर अपना निर्णय करने की भी हमने चेष्टा की है। इस प्रकार की छानबीन के साथ युधिष्ठिर के सम्वत् का समय संसार की उत्पत्ति से 2825 वर्ष बाद निकलता है। इस हिसाब से अगर 4004 में से अर्थात् संसार की उत्पत्ति से लेकर ईसा के जन्म के समय तक का समय निकाला जाये तो युधिष्ठिर के सम्वत् का प्रारंभ ईसा के 1179 वर्ष और विक्रमादित्य से 1123 वर्ष पहले सावित होता है। 1 36
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