पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/३२३

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

ऊपर लिखे गये विवरण इस वात के प्रमाण हैं कि अंग्रेजों से संधि के बाद मेवाड़-राज्य ने उन्नति की । इस राज्य की आर्थिक आय का साधन उसकी खानें थीं। करीब आधी शताब्दी से उन खानों के द्वारा राज्य को तीन लाख रुपये वार्षिक से अधिक की आमदनी होती थी। इस प्रकार की परिस्थितियों के कारण राज्य का भीषण रूप से पतन हुआ। आर्थिक पतन के नाम पर राज्य की गरीवी भयानक हो उठी। ऐसी दशा में जबकि राज्य के सभी व्यवसाय नष्ट हो चुके थे, खानों के खुदवाने का काम बिल्कुल असंभव था। इसीलिए अरसे से राज्य में वह कार्य बन्द रहा और अब तक बन्द है। खानों की जमीन पर बहुत दूरी तक पानी भरा हुआ है और अब वे नष्ट हो चुकी हैं। एक बार इसके लिये चेष्टा की गयी थी। लेकिन उससे लाभ होने की आशा न होने के कारण उस कार्य को बन्द कर देना पड़ा। । 1. सन् 1618 ईसवी में जावर की टीन खान से 2,22,000 रुपये और दुरिबाड़ा से 8,000 रुपये की आमदनी हुई थी । इन खानों में टीन के साथ-साथ चाँदी भी निकली थी। 323