अध्याय 4 इतिहास के प्रसिद्ध नगरों व राज्यों की स्थापना सूर्यवंशियों ने सबसे पहले अयोध्या की स्थापना की थी और लगभग उसी समय इक्ष्वाकु के प्रपौत्र मिथिल ने मिथला देश की राजधानी मिथलापुरी बसाई । जनक मिथिल का बेटा था। उसी के नाम से सूर्यवंश की इस शाखा का नाम प्रसिद्ध हुआ। अयोध्या और मिथिलापुरी दोनों को प्राचीन काल में अधिक प्रसिद्धि मिली। यद्यपि रामचन्द्र के पहले रोहतास और चम्पापुर की तरह के कई एक नगरों की स्थापना हो चुकी थी। बुध से चलने वाले चन्द्रवंशियों के द्वारा अनेक राज्यों की स्थापना हुई थी। उनमें प्रयाग की प्राचीनता अब तक प्रसिद्ध है। अनुभव से जाहिर होता है कि चन्द्रवंशियों की पहली राजधानी की स्थापना हैहय वंश के सहस्त्रार्जुन के द्वारा हुई । उसका नाम माहिषमती था और वह नर्मदा नदी के किनारे पर बसी थी। सूर्यवंशियों और चंद्रवंशियों का परस्पर विरोध बहुत दिनों तक चला था । उस विरोध में ब्राह्मणों ने सूर्यवंशियों की सहायता की थी और सहस्त्रार्जुन को माहिषमती से निकाल दिया था। कृष्ण की राजधानी कुशस्थली द्वारका में थी, जो प्रयाग, सुरपुर और मथुरा के पूर्व में थी। भागवत के अनुसार, सूर्यवंशी इक्ष्वाकु के बंधु आनर्त के द्वारा बसी थी परन्तु वह यादवों के अधिकार में कैसे पहुँच गई, इसका कोई उल्लेख नहीं मिला। जैसलमेर के पुराने ग्रंथों से मालूम होता है कि सबसे पहले प्रयाग, उसके बाद मथुरा और फिर द्वारका की स्थापना हुई । ये तीनों नगर आरंभ से ही प्रसिद्ध रहे हैं शकुन्तला। का बेटा भरत प्रयाग में ही रहा करता था। रामायण के अनुसार, सूर्यवंशी लोगों के साथ हैहय वंशियों की लड़ाई में शशविंधी लोग (संदर्भ) जो यदुवंशी की एक शाखा थी, हैहय वंश वालों के साथ शामिल हो जाते थे। चेदी राज्य को कायम करने वाला शिशुपाल इसी शशविंधी वंश का था, जो कृष्ण का शत्रु था। यूनानी इतिहासकारों के अनुसार, सिकन्दर के आक्रमण के समय मथुरा के आसपास के निवासी सूरसेनी कहे जाते थे। सूरसेन नाम के दो राजाओं का उल्लेख मिलता है। उनमें एक तो कृष्ण का पितामह और दूसरा आठ शताब्दी पहले हुआ था। उन्हीं में से किसी के द्वारा सुरपुर नामक राजधानी की प्रतिष्ठा हुई थी। हस्तिनापुर राजा हस्ती का बसाया हुआ था, जो एक प्रसिद्ध चंद्रवंशी राजा था। महाभारत के बाद हस्तिनापुर का अस्तित्व बहुत समय तक कायम रहा। फिर सिकन्दर के आक्रमण का इतिहास लिखने वाले यूनान के लेखकों ने इस प्राचीन नगरी का उल्लेख क्यों नहीं किया, यह समझ में नहीं आता। भारत में सिकन्दर के आक्रमण का समय महाभारत के बाद अनुमानतः आठ सौ वर्षों के बाद का था। सिकन्दर के साथ युद्ध करने वाला पोरस राजा था। पोरस नाम के दो राजा हुए हैं। एक तो पुरुवंशी था और दूसरा पंजाब की सीमा पर रहता था, इस दशा में यह बात समझ में आती है कि सिकन्दर के आक्रमण के समय 29
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