पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/२५५

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सबसे बड़ी फौज लेकर राणा राजसिंह पर आक्रमण किया था और उस आक्रमण में शाहजादा अकबर जब राजपूतों के घेरे में आ गया था, जिससे उसके बचने का कोई मौका न रहा था, उस समय राणा राजसिंह के लड़के जयिसंह ने उसके साथ उदारता का व्यवहार किया और उसको सुरक्षित अवस्था में औरंगजेब के पास पहुँच जाने का मौका दिया। अपनी रक्षा के लिए पूरी शक्ति रखने की दशा में भी शत्रु के साथ उसने इतनी उदारता दिखाई, यह राजपूतों का ही काम था। इसके बाद औरंगजेब ने जो कुछ राणा के . विरुद्ध किया, वह पूर्ण रूप से अनैतिक था। शत्रु के आक्रमण करने पर बुद्धिमान सैनिक और सेनापति की हैसियत से अपने देश की रक्षा करने में वह प्रत्येक अवस्था में प्रशंसा का अधिकारी है। शत्रु के भीषण आक्रमण के समय युद्धों के संकटों का सामना करते हुये राज्य की मर्यादा की रक्षा करने में एक बहादुर राजपूत की हैसियत से वह अद्वितीय था। एक शूरवीर में जो योग्यता, नैतिकता और न्याय परायणता होनी चाहिए, वह सव राणा राजसिंह के जीवन में था। वह केवल युद्ध में शूरवीर ही न था, बल्कि उसने राजसमन्द के नाम से जो एक विशाल झील बनवाई और राजनगर नाम का जो नगर बसाया उसके निर्माण कार्य से उसकी अद्भुत प्रतिभा का परिचय मिलता है। मैं समझता हूँ कि संसार का कोई भी न्यायप्रिय मनुष्य अवश्य ही राणा राजसिंह की प्रशंसा करेगा। '. 255