पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/२५

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विश्वामित्र गाधिपुरा के कौशिक वंशी राजा गाधी का लड़का था। वह इक्ष्वाकु के वंशज अयोध्या के राजा अम्बरीष का समकालीन था और रामचन्द्र से दो सौ वर्ष पहले हुआ था। उस समय जाति व्यवस्था समाज में मजबूती के साथ कायम हो रही थी। इसलिए यह अनुमान किया जा सकता है कि भारत में जिस समय जाति व्यवस्था कायम हुई वह समय ईसा से लगभग चौदह सौ वर्ष पहले का था। महाभारत महाकाव्य का लिखने वाला व्यास दिल्ली के राजा शान्तनु का बेटा था और योजनगन्धा नाम की मल्लाह जाति की लड़की से उसकी अविवाहित अवस्था में उत्पन्न हुआ था। व्यास के उत्पन्न होने के बाद योजनगन्धा का विवाह शान्तनु के साथ हुआ और उससे विचित्रवीर्य नामक पुत्र पैदा हुआ। विचित्रवीर्य के तीन लड़कियाँ पैदा हुईं, उसमें एक का नाम पाण्डया था।1 शान्तनु के वंश में कोई अन्य पुरुष पैदा न होने के कारण व्यास अपनी भतीजियों का धर्म पिता हुआ और बाद में अपनी धर्मपुत्री पाण्डया के साथ उसने विवाह कर लिया। यूनानी इतिहासकार ऐरियन ने इस कथा का कुछ परिवर्तन के साथ उल्लेख किया है, जिसको लिखने की यहाँ पर आवश्यकता नहीं है। उस लड़की के वंशजों ने इकतीस पीढ़ी तक ईसा से पूर्व 1120वें वर्ष से लेकर 610वें वर्ष तक राज्य किया और पाण्डु वंश के अंतिम शासक के अयोग्य होने के कारण, राज्य के सरदारों ने विद्रोह किया और उसी वंश के सैनिक मंत्री को राजा बनाया गया। उसके बाद विक्रमादित्य तक दूसरे दो वंशों ने राज्य किया। भारत की राजधानी उत्तर से उठकर दक्षिण में चली जाने के कारण विक्रम सम्वत् की चौथी शताब्दी और कुछ अधिकारी लेखकों के अनुसार आठवीं शताब्दी तक इन्द्रप्रस्थ में कोई शासक न रहा। उसके पश्चात् तोमर जाति के राजपूतों ने, जो अपने आपको पाण्डु के वंशज कहते थे, इन्द्रप्रस्थ पर शासन किया और उस राजधानी का नाम दिल्ली रखा गया। तोमर जाति के जिस राजा ने दिल्ली में शासन किया, उसका नाम अनंगपाल प्रथम था। बारहवीं शताब्दी तक उसका वंश चलता रहा। उसने दिल्ली की राजगद्दी अपनी लड़की के पुत्र पृथ्वीराज को दे दी, जो भारत का अंतिम राजपूत सम्राट हुआ और मुसलमानों के द्वारा उसके पराजित होने पर भारत में मुस्लिम शासन का प्रारंभ हुआ। 1. इन तीन लड़कियों में एक लड़की विचित्रवीर्य के द्वारा एक दासी से पैदा हुई थी। वह दासी भी विचित्रवीर्य के राजमहल में रहा करती थी और रानियों की तरह उसके साथ व्यवहार किया जाता था इसलिए यह निर्णय करना बहुत कठिन था कि इन तीन कन्याओं में दासी से उत्पन्न होने वाली पुत्री कौन है । इसके लिए व्यास पर निर्णय करना रखा गया। व्यास ने आज्ञा दी कि तीनों राज कन्याएँ मेरे सामने नग्न होकर निकलें। उस अवस्था में बड़ी लड़की लज्जा के कारण नेत्र बन्द करके व्यास के सामने से निकल गई। उस लड़की से हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र का जन्म हुआ। दूसरी लड़की लज्जा से अपने शरीर पर पीली मिट्टी लपेट कर निकली, इसीलिये उसका नाम पांडु मिट्टी के कारण पाण्ड्या पड़ा और उसका पुत्र पांडु कहलाया। तीसरी लड़की बिना संकोच के सामने से निकल गयी । इसीलिए वह दासी मानी गयी और उससे विदुर नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ। 25