भी शांति कायम हुई थी, वन, छिन्न-भिन्न हो गयी । दया बदन दिनों में गया और दिल्ली राज्यों के हिन्दुओं और मुसलमानों में जो मैत्रीपूर्ण व्यवहार चल रहा था, वह एक साथ रामाहा गया। दोनों गन्यांक fir न्दुओं और मुसलमानों में शत्रुता पैदा होने का मुख्य कारण, बादशाह शाहजहाँ का बल का जाना था। टगक चार लड़के थे । पिना के युद्ध होत की चांग लालकों में गन्याधिकार के लिए अगदा पैदा हो गया। यह अगदा ही आगे चलकर दोनों राज्यों के हिन्दुओं और मुसलमानों को शत्रुना का मुख्य कारण बना । शाहजहाँ के जीवन काल में ही टसक चागे लड़कों को आपस में शत्रुता बढ़ गयी थी। टन लड़कों ने एक दगंग को पजित करने के लिा. गजन्यान के गजाओं में सहायता मांगी और चाग ने सहायना देने के लिए गगित को मजवर किया। गाजमिर ने शानों के पत्रों की मांगों को गुना । पान्न टराने दारा शिकोह की सहायता की। दाग शिकार अपने भाइयों में सबसे बड़ा या। अपने पिता के राज्य का वही उनधिकारी था। नैतिक नदि शाहजहां के बाद दिल्ली के सिंहासन पर बैटन का अधिकार दाग को मिलना चायिथा। लेकिन औरंगजेब दारा शिकार के बस अधिकार को मानने के लिए किसी भी दशा नयार न था। सी अवस्था में राणा गजसिंह ने दारा की सहायता करना ही अपने लिए मनासिव समझा और दाग के पक्ष का समर्थन किया। गाजस्थान कर गजाओं ने गांगर के निर्णय का समर्थन किया और वे सब गमिसे मिल कर दाग की सहायता करने के लिए तैयार हो गये। दाग औरंगजेब के आरा युद्ध की यागियों कोने लगी। गणा राजगिर और राजस्थान के दूसरे राजाओं ने दाग की तरफ से औरंगजेब के साथ फोहाबाद के बिल मैदान में युद्ध किया । ठग युद्ध में दाग और नमक सहायकों की पराजय और औरंगजब बिजयी ।आ। जिन गजपूत गनाओं ने दारा की सहायता की थी अथवा दारा के साथ अपनी सहानुभूति प्रकट की थी, वे सबक गाव औरंगजेब के दुश्मन बन गये । तैमर के वंशज बाबर ने जिस युद्धिमानी के साथ भारत में अपना राज्य कायम किया था और अकबर ने जिस लोकप्रियता तथा राजनीति के आरा मुगल साम्राज्य का विस्तार किया था, औरंगजेब ने टसकी परवाह न की। अकबर की नीति, जहाँगीर और शाहजही ना कायम रही। दिल्ली के सिंहासन पर बैठकर दोनों ने अकबर के कायम किये हुए विशाल साम्राज्य को कमजोर नहीं मान दिया। बादशाह अकबर ने हिन्दू मुसलमान का भेद नहीं माना था। जहांगीर और शामजहों ने भी ऐसा ही किया । परन्तु औरंगजेब ने मिहासन पर बैठने के पहले ही अपनी जिन्दगी if iसा गला अग्नियार किया कि जो जिन्द्र और मुसलमान बहुत दिनों से एक दुसरे के मित्र बनकर चल रहे थे, वे एक दूसरे के शत्रु बन गये जहाँगीर और शासजी के शासनकाल में मवाद और दिल्ली राज्यों की यह अवस्था नयी । अजा से लेकर राज परिवागं और बादशाह के गालो तक हिन्द मुसलमान का कोई फन था। दोनों बादशाह की इस नीति का कारण यह था कि दोनों ही मारवाद के राजपूत यश जन्म लेने वाली माताओं से पैदा भए थे । औरंगजब की परिस्थिति दसरा थी। उसकी गाना नागारबेश की लड़की थी। जहांगीर और शाहजहाँ की रगों में उनकी हिन्, माताओं का प्रयाति आ था। परन्तु औरंगजेब के जीवन में सब-कुछ नावारी भाता से प्राप्त आ था। इसका प्रभाव टांक सम्पूर्ण जीवन में रहा और उसके शासन काल गन्य के हिन्द-भुसलमान कभी एक आकर न रह सके । 246
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