पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/१२

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टॉड साहब का जीवन-चरित्र भारतवर्ष में प्राचीनकाल से ही इतिहास लिखने की प्रथा न होने के कारण सन् ईसवी की उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ काल तक प्रसिद्ध राजपूत जाति एवम् राजपूताने का इतिहास जानने के लिये कुछ भी योग्य साधन न थे। राजपूत जाति के परम हितैषी कर्नल जेम्स टॉड ने जब से राजपूताने में अपना कदम रखा, तब से ही उनके चित्त में राजपूत जाति के इतिहास के अभाव को करने का विचार उत्पन्न हुआ, जिसे पच्चीस वर्षों के सतत् परिश्रम से उन्होंने पूर्ण कर राजपूतों की कीर्ति के जय-स्तम्भ रूप में राजस्थान के इतिहास को प्रकट किया। उन्होंने अपना यह अपूर्व ग्रन्थ ऐसे समय में लिखा था, जबकि कुछ भी सामग्री कहीं से तैयार मिलने की सम्भावना ही नहीं थी। टॉड साहब की इस पुस्तक में कई स्थानों पर परिवर्तन करने की आवश्यकता अवश्य रही। फिर भी उनका यह ग्रन्थ अब तक राजपूत जाति तथा राजपूताना के लिये प्रमाण स्वरूप माना जाता कर्नल जेम्स टॉड, स्काटलैण्ड के निवासी मिस्टर जेम्स टॉड के दूसरे पुत्र और हेनरी टॉड के पौत्र थे। उनका जन्म 20 मार्च 1782 ईसवी को इस्लिंगटन नामक स्थान में हुआ था। टॉड साहब के मामा मिस्टर पेट्रिक हेटली ने, जो बंगाल के सिविलियन थे, उनको ईस्ट इण्डिया कम्पनी के सैनिक उम्मीदवारों में भरती करा दिया था और वे सत्रह वर्ष की अवस्था में बंगाल भेज दिये गये थे। उसके बाद उनकी बदली मुहिम में जाने वाली जल-सेना में हो गयी थी। उस मौके पर कुछ समय तक उनको एक जहाज की जल सेना में काम करना पड़ा था। उसके बाद कलकत्ता, हरिद्वार होते हुए उनका तबादला देहली के लिये हो - है गया था। इंजीनियरिंग के काम में कुशल होने के कारण सन् 1801 ईसवी में देहली के पास पुरानी नहर की पैमाइश करने का काम उनको सौंप दिया गया। इसके बाद वे मिस्टर मर्सर के साथ रहने वाली अंग्रेजी सेना के एक अधिकारी बना दिये गये। उस समय तक यूरोपियन विद्वानों को राजपूताना और उसके आस-पास के प्रदेशों का भूगोल सम्बन्धी ज्ञान बहुत ही कम था और उनके बनाये प्रमुख स्थानों के स्थान भी सही न थे। मिस्टर रेनल ने उन भूलों के संशोधन का कुछ काम किया था, परन्तु वे नक्शे सही न बन पाये थे टाँड साहव पैमाइश का काम करते हुए 1806 ईसवी के जून महीने में एक अंग्रेजी राजदूत के साथ उयपुर पहुँच गये। इसी समय उनके मन में यह भाव पैदा राजपूताना और उसके आस-पास के प्रदेशों का एक उत्तम नक्शा हुए नक्शों में - हुआ कि