पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/१०१

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

1 । वह अव उसी में रहना चाहता है, इसे वह जन्म गत मानता है। उसको वदलने और दासता के जीवन से निकलने की वह कभी अभिलाषा नहीं करता। किसी के समझाने से उसकी समझ में नहीं आता। वह अपने जीवन की दासता में रहना चाहता है और उससे निकल कर वह दासता से अपनी मुक्ति नहीं चाहता । वह जिस अवस्था में है, उसी में वह संतोष करता है। उनमें से बहुत की यह भी धारणा है कि इस दासता से मुक्ति प्राप्त करने के लिए समाज और राज्य से जो सुविधायें प्राप्त हैं, उनसे वंचित होना पड़ेगा। इसलिए उन संकटों का सामना करने के लिए ये दास न तो इच्छुक हैं और न तैयार हैं। राजस्थान में 'वसी' लोगों की भांति दासों की एक दूसरी श्रेणी भी विद्यमान थी। शत्रुओं के द्वारा जो लोग युद्ध में कैदी हो जाते थे, वे जब किसी सामन्त अथवा अन्य किसी के द्वारा बंदी जीवन से उद्धार पाते थे तो वे कैदी लोग मुक्ति दिलाने वालों के दास हो जाते थे। बसी लोगों का इस प्रकार इतिहास राजस्थान में पाया जाता है। राजपूतों में सदा से कृतज्ञता की भावना अधिक रही है और अपनी इस कृतज्ञता को सार्थक बनाने के लिए वे अपने उपकारी की दासता स्वीकार लेते थे। वसी लोगों का कुछ इसी प्रकार का इतिहास है। उनके इस इतिहास के सही होने के बहुत से प्रमाण और उदाहरण मिलते हैं ।विजौली के रहने वाले बहुत लोग परमार सामन्तों के बसी कहे जाते हैं। वारह वर्ष पहले परमार सामन्त के साथ बहुत से बसी लोग मेवाड़ में आये थे और राणा ने उनके साथ सम्मान पूर्ण व्यवहार करके अपने राज्य का एक बड़ा हिस्सा उन वसी लोगों को रहने के लिए दिया था। गोला लोग जिस प्रकार अपने वायें हाथ में दासता का चिन्ह स्वरूप कडा पहनते हैं,उसी तरह वसी लोग भी अपनी दासता का परिचायक वालों का एक गुच्छा रखते हैं। राजस्थान में वसी लोग गुलामों की एक जाति में माने जाते हैं । परन्तु उनमें और गोला लोगों में अंतर समझा जाता है । वसी लोग गोला लोगों की तरह नीच नहीं माने जाते । वसना अर्थात् कहीं पर रहना अथवा वस्ती शव्द से वसी शब्द की उत्पत्ति हुई है। वसी शब्द का अर्थ वास्तव में उपनिवेशी होता है अर्थात् कुछ दिनों से निवास करने वाला। प्राचीनकाल में वहुत से सामन्त किसी कारणवश अपने पूर्वजों का स्थान छोड़कर दूसरे राज्य में चले जाते थे और वहीं पर रहने लगते थे । जहाँ पर वे रहने लगते थे उन स्थानों को लोग वसी नाम से मशहूर कर देते थे और फिर वही नाम सदा के लिए उनके विख्यात हो जाते थे। रामपुरा राज्य में टोंक के समीप वसी नाम का एक प्रसिद्ध नगर है। इस नाम की उत्पत्ति इसी प्रकार हुई थी। सोलंकी राजा ने किसी आक्रमणकारी के अत्याचार से अपने पूर्वजों का राज्य गुजरात छोड़ दिया था और उसने टोंक के पास पहुँच कर जिस नगर की स्थापना की थी, उसे लोगों ने वसी नाम दिया था। सोलंकी राजा के चले आने पर गुजरात की बहुत सी प्रजा उसके पास पहुंची थी और उसके वसाये हुए वसी नगर में रहने लगी थी। परन्तु इस वसी नगर के निवासियों को अव तक लोग भ्रमवश वसी गुलाम मानते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि बहुत समय के बाद लोगों के कहने के अनुसार उस नगर के निवासी अपने आप को वसी लोगों में मानने लगे और अव तक मानते हैं।1 युद्ध का कर ने दे सकने के अपराध में मराठा सैनिकों ने कुछ राजपूत युवकों को कैद कर लिया था । जो लोग पकड़े गये थे, उनमें पूरावत सरदार का छोटा भाई भी था। उन्हीं दिनों में उसकी माता वीमार हो गयी और उसकी मृत्यु का समय वहुत समीप आ गया। किसी प्रकार उसके वचने की आशा न रही। उस समय मृत्यु शैया पर पड़ी हुई माता ने अपने छोटे को देखने की लालसा प्रकट की। ऐसे अवसर पर मराठा के छोटे भाई को अपनी माता के पास पहुँचा कर उसके अंतिम दर्शन करने चाहिए थे। परन्तु उसे जब मालूम हुआ कि मेरे द्वारा उसको मुक्ति मिली है तो वह अपनी कृतज्ञता प्रकट करने के लिए मेरे पास पहुँचा । मैं उससे बहुत प्रभावित हुआ और तुरंत उसको माता के पास भेज दिया । 1. 101